Loksabha Elections 2024: BJP के धुर विरोधी भी इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि लोकसभा चुनावों में भाजपा सबसे मजबूत नजर आ रही है। इस बार बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के 400 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद है। इंडिया में 400 से ज्यादा सीटें जीतने का रिकॉर्ड 1984 में बना था। तब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने 414 सीटें जीती थी। लेकिन, तब माहौल कुछ और था। आज पूरे देश के मतदाताओं के बीच मजबूत पैठ के बगैर किसी पार्टी या गठबंधन के लिए करीब 75 फीसदी सीटें जीतना मुमकिन नहीं है। ऐसे में BJP के सीटों के गणित में दक्षिण के राज्यों की बड़ी भूमिका दिखती है।
दक्षिण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले कुछ हफ्तों में जिस तरह से दक्षिण के राज्यों में रैलियां की हैं और लोगों से जुड़ने की कोशिश की है, उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि दक्षिणी राज्यों को बीजेपी कितना अहमियत दे रही है। बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व यह समझ चुका है कि अगर 400 से ज्यादा लोकसभा सीटें जीतनी है तो यह दक्षिणी राज्यों के सहयोग के बगैर मुमकिन नहीं है। अब तक लोकसभा सीटें जीतने के लिहाज से दक्षिण में बीजेपी का प्रदर्शन बहुत कमजोर रहा है।
दक्षिण में लोकसभा की कुल 130 सीटें
कर्नाटक दक्षिण का इकलौता ऐसा राज्य है, जहां पिछले कुछ सालों में बीजेपी पैर जमाने में सफल रही है। तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भाजपा का प्रदर्शन क्षेत्रीय दलों के मुकाबले बहुत कमजोर रहा है। यहां तक कि यह कांग्रेस के मुकाबले भी दक्षिण में कमजोर रही है। लोकसभा की कुल 543 सीटों में दक्षिण के सीटों की हिस्सेदारी 130 है। यह कुल सीटों का करीब 24-25 फीसदी है। ऐसे में लोकसभा में दो-तिहाई बहुमत के लिए दक्षिण की सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी है।
इन राज्यों में बीजेपी का एकछत्र राज
बीजेपी उन राज्यों में लोकसभा सीटें जीतने के मामले में करीब पीक पर पहुंच गई है, जहां वह मजबूत है। इनमें मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार और गुजरात जैसे राज्य शामिल हैं। उत्तरपूर्वी राज्यों में भी यह अपनी स्थिति मजबूत करने में सफल रही है। पश्चिम बगांल और ओडिशा में भी इसकी ताकत बढ़ रही है। ऐसे में देश का एकमात्र हिस्सा जहां इसके लिए अपनी सीटें बढ़ाने की गुंजाइश है, वह दक्षिण है।
1984 में आंध्र की सीट पर जीत
1984 के लोकसभा चुनावों में भाजपा दो सीटों पर जीत सकी थी। मजेदार बात यह है कि इनमें से एक सीट आंध्र प्रदेश की हनामकोंडा थी, जहां से चंदुपाटला जंग रेड्डी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था। पिछले कुछ सालों में दक्षिण में बीजेपी का वोट शेयर बढ़ा है और कुछ सीटें भी मिली हैं। लेकिन, यह दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में नाकाम रही है।
2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने दक्षिण की 130 लोकसभा सीटों में से 29 जीत सकी थी। इसका कंबाइंड वोट शेयर 18 फीसदी था। हालांकि, यह दूसरे दलों के मुकाबले मजबूत स्थिति में थी, लेकिन इसका स्ट्राइक रेट सिर्फ 33 फीसदी था। इसके मुकाबले इसने हिन्दी भाषी राज्यों में कुल 225 सीटों में से 177 जीती थी। इसका वोट शेयर करीब 50 फीसदी था और स्ट्राइक रेट 89.4 फीसदी था। दक्षिण में बीजेपी को मिली कुल 29 में से 25 सीटें कर्नाटक की थी। इससे बाकी राज्यों में बीजेपी की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है।
कर्नाटक में बीजेपी की सीटों की संख्या लगातार बढ़ी है। 2019 में इसने कुल 28 में से 25 सीटें जीती थी। यह इसके बावजूद था कि तब राज्य की सत्ता में कांग्रेस-जेडीएस का गठबंधन था। इस बार बीजेपी कर्नाटक में जेडीएस के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। आंध्र में इसने TDP और जन सेना के साथ हाथ मिलाया है। तेलंगाना में यह बीआरएस की कमजोरी का फायदा उठाना चाहती है, जिसे विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने सत्ता से उखाड़ फेंका है।
कुछ सीटों पर फोकस की रणनीति
तमिलनाडु बीजेपी के लिए सबसे बड़ा चैलेंज है। इसने AMMK और PMK से हाथ मिलाया है। बीजेपी की पूर्व सहयोगी AIDMK अकेले चुनाव लड़ रही है। ऐसे में बीजेपी ने कुछ सीटों पर अपना फोकस बनाए रखा है। इनमें कोयंबतूर की सीट शामिल है। यहां से पार्टी ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई को टिकट दिया है। केरल में भी बीजेपी ने यही रणनीति अपनाई है। इस बार बीजेपी तिरुवनंतपुरम, पथनामथिटा जैसी सीटों पर जोर लगा रही है। अब तक बीजेपी केरल में एक भी सीट नहीं जीत सकी है। ऐसे में अगर वह कुछ सीटें भी जीत जाती है तो उसे बड़ी उपलब्धि मानी जाएगी।
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