Digvijaya Singh Last Election: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का यह आखिरी इलेक्शन हो सकता है। उन्होंने खुद यह बातें कही हैं। दिग्विजय सिंह ने रविवार को कहा कि 2024 का लोकसभा चुनाव में वह आखिरी बार अपनी किस्मत आजमाएंगे। इसे लेकर उन्होंने X (पूर्व नाम Twitter) पर एक लंबा ट्वीट किया है जो मतदाताओं से जुड़ने की भावनात्मक अपील है। इस ट्वीट में 77 वर्षीय दिग्विजय सिंह ने अपने जिंदगी के सफर का उल्लेख किया है और कहा कि वह कितने सफल रहे हैं, इसका आकलन वह खुद नहीं कर सकते हैं बल्कि आम लोग ही कर सकते हैं। इस बार उनके सामने चुनावी मैदान में दो बार से सांसद रह चुके बीजेपी के रोडमल नागर हैं। राजगढ़ में आज 7 मई को मतदान हो रहा है।
Digvijaya Singh ने क्या लिखा है ट्वीट में?
"मैं जब मेरे पिता के देहांत के बाद इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर राघोगढ़ आ कर रहने लगा, तब मुझे राघोगढ़ के बुजुर्ग नगर सेठ कस्तूरचंद कठारी मिलने आए। तब उन्होंने मुझे एक सीख दी। वह यह थी। उन्होंने कहा “राजा साहब हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य हिंदी की 12 खड़ी के अनुसार होता है। ‘क’ से कमाओ- इतना कमाओ कि आपके परिवार को कमा कर ‘ख’ से खिला सके। ‘ग’ से गहना - जो बचत हो उससे गहना बनाओ। ‘घ’ से घर - गहना खरीद कर बचत से घर बनाओ। ‘ङ’ से नाम- घर बनाने के बाद अगर बचत हो तो नाम कमाओ। उन्होंने कहा आप भाग्यशाली हो आपको खाने की कमी नहीं, गहनों की कमी घर की कमी नहीं, बस अब ‘आप नाम कमाओ’। मैंने अपने 50 वर्षों के राजनैतिक जीवन में बस यही करने का प्रयास किया है। उसमें मैं कितना सफल हुआ इसका आकलन मैं स्वयं नहीं कर सकता, केवल आम लोग ही कर सकते हैं। यह मेरे जीवन का आखिरी चुनाव है और आप यह तय करेंगे कि मैं इसमें कितना सफल हुआ। धन्यवाद दिग्विजय"
दिग्विजय सिंह का ऐसा रहा है राजनीतिक सफर
ग्वालियर राज्य के तहत आने वाले राघोगढ़ के राजा बलभद्र सिंह के पुत्र दिग्विजय सिंह ने अपना राजनीतिक जीवन 1969 में शुरू किया जब उन्हें राघोगढ़ नगर परिषद के अध्यक्ष के रूप में चुना गया। 1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस विरोधी लहर में दिग्विजय ने राघोगढ़ विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की। इसके बाद राघोगढ़ से वह दो और बार - 1998 और 2003 में भी विधायक बने। 1984 में वह राजगढ़ से सांसद बने लेकिन अगले ही चुनाव यानी 1989 में इसी चुनावी क्षेत्र से बीजेपी के प्यारेलाल खंडेलवाल से हार गए। 1991 के लोकसभा चुनाव में दिग्विजय ने सीट वापस जीत ली। इसके बाद वह 10 साल तक मध्य प्रदेश के सीएम बने तो यह सीट उनके लक्ष्मण सिंह ने पांच बार कांग्रेस के टिकट पर जीती। अभी वह राज्यसभा के सांसद हैं और कांग्रेस कार्य समिति के स्थायी सदस्य हैं।