Get App

विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में बदल सकती है राजनीतिक तस्वीर, दोनों गठबंधन में दरार के संकेत

लोकसभा चुनावों के नतीजों ने महाराष्ट्र की राजनीति को हिला दिया है। एक तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर का पद नहीं मिलने से शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजीत के कार्यकर्ता निराश है तो दूसरी तरफ महायुति में कांग्रेस के खुद को गठबंधन का बड़ा भाई बताने से शिवसेना-उद्धव गुट और एनसीपी-शरद गुट निराश हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 15, 2024 पर 1:51 PM
विधानसभा चुनावों से पहले महाराष्ट्र में बदल सकती है राजनीतिक तस्वीर, दोनों गठबंधन में दरार के संकेत
2019 के महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में BJP और शिवसेना एकसाथ थी। बीजेपी ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि शिवसेना ने 126 सीटों पर।

महाराष्ट्र के पूर्व गवर्नर पीसी एलेक्जेंडर ने अपनी किताब 'पेरिल्स ऑफ डेमोक्रेसी' में लिखा था कि राजनीति में गठबंधन ज्यादा समय तक नहीं टिकते। सहयोगी दलों में मतभेद शुरू होता है फिर वे अपनी अलग राह पकड़ लेते हैं। यह बात आज महाराष्ट्र की राजनीति में 100 फीसदी सही दिख रही है। खासकर लोकसभा चुनावों के नतीजों के बाद यह मतभेद सामने आ गया है। यह मतभेद राज्य के दोनों गठबंधन में दिख रहा है। इस साल के आखिर में महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं।

लोकसभा चुनावों के नतीजों से गठबंधन में निराशा

राज्य में सरकार चलाने वाली महायुति गठबंधन में शामिल शिवसेना-शिंदे ने 16 सीटों पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था। वह 7 सीटें जीतने में सफल रही। एनडीए की नई सरकार में इस दल को सिर्फ राज्यमंत्री का एक पद ऑफर किया गया। इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उधर, एनसीपी-अजीत गुट ने भी राज्यमंत्री का पद लेने से इनकार कर दिया। अजीत पवार को उम्मीद थी कि उनकी पार्टी को कैबिनेट मिनिस्टर का पद दिया जाएगा।

पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी और शिवसेना एक साथ

सब समाचार

+ और भी पढ़ें