सरकार ने अगले पांच साल के लिए टारगेट आधारित रोडमैप बनाया है। इसमें 8 प्वाइंट्स पर फोकस किया गया है। इसका मकसद स्टैटिस्टिक्स और डेटा एक्युरेशी में सुधार करने के साथ ही प्रोजेक्ट पूरा होने में देर पर रोक लगाना है। एक सीनियर अफसर ने यह जानकारी दी। 12 फरवरी, 2024 को स्टैटिस्टिक्स मिनिस्ट्री के सीनियर अफसरों ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को एक प्रजेंटेशन दिया था। इसमें इंडिया में डेटा केलक्शन, एक्युरेशी और एनालिसिस को बेहतर बनाने के उपाय शामिल थे। इस मीटिंग की अध्यक्षता पीएमओ में प्रिंसिपल सेक्रेटरी पीके मिश्रा ने की थी।
डेटा की क्वालिटी पर पिछले कई सालों से फोकस
इंडिया में डेटा कलेक्शन की क्वालिटी और फ्रीक्वेंसी को लेकर पिछले कई सालों से बहस होती रही है। मीटिंग में मौजूद लोगों के मुताबिक मिनिस्ट्री के रोडमैप को स्वीकार कर लिया गया। डेटा कलेक्शन को बेहतर बनाने के लिए एक रोडमैप बनाया गया। इसमें जीडीपी के नेशनल अकाउंट्स स्टैटिस्टिक्स, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन और इनफ्लेशन के डेटा को बेहतर बनाने के रोडमैप शामिल हैं।
रोडमैप में नेशनल स्टैटिस्टिकल कमीशन, दूसरे मिनिस्ट्रीज से मिलकर एडमिनिस्ट्रेटिव स्टैटिस्टिक्स को बेहतर बनाने के उपाय शामिल हैं। अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया, "स्टैटिस्टिकल सिस्टम को बेहतर बनाने के मकसद से स्टैटिस्टिक्स मनिस्ट्री के लिए एक रोडमैप स्वीकार किया गया है। यह 5 साल क लिए है। लोकसभा चुनावों के बाद स्टैटिस्टिक्स को बेहतर बनाने के लिए 8 लक्ष्य तय किए गए हैं।"
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एक संसदीय समिति ने पिछले साल आर्थिक गणना में देरी पर मिनिस्ट्री ऑफ स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम इंप्लिमेंटेशन (MoSPI) पर सवाल उठाए थे। समिति ने जुलाई 2023 में एक रिपोर्ट में कहा था कि मिनिस्ट्री को डेटा कलेक्शन की रिफ्तार बढ़ानी होगी। उसे राज्यों के साथ मिलकर काम करना होगा और स्टेट-लेवल कोऑर्डिनेशन कमेटी के प्रोविजनल रिजल्ट्स को समय पर एप्रूव कराने होंगे।
2006 मे हुई थी NSC की स्थापना
अधिकारी ने बताया कि स्टैस्टिकल पॉलिसीज की एडवायजरी बॉडी नेशनल स्टैस्टिकिकल कमीशन (NSC) में बदलाव करने की जरूरत है। एनएससी की स्थापना 12 जुलाई, 2006 को हुई थी। इसका मकसद स्टैटिस्टिकल मसलों से जुड़ी पॉलिसी तैयार करना, प्राथमिकता में शामिल करना और उसे स्टैंडर्ड रूप देना था।