UP Lok Sabha Chunav 2024: नगीना में राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे चंद्रशेखर आजाद, 'हॉट सीट' पर है चतुष्कोणीय संघर्ष
UP Lok Sabha Chunav 2024: नगीना लोकसभा सीट पर चतुष्कोणीय यानि भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और आजाद पार्टी के बीच रोचक लड़ाई हो रही है। नगीना की लड़ाई कितनी रोचक है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इस सीट पर मायावती की राजनीतिक विरासत संभालने वाले उनके भतीजे आकाश आनंद ने अपनी पहली रैली नगीना में ही की
UP Lok Sabha Chunav 2024: अखिलेश यादव और कांग्रेस ने चुनाव से ठीक पहले चंद्रशेखर से दूरी बना ली
UP Lok sabha chunav 2024: पश्चिमी यूपी के नगीना लोकसभा क्षेत्र में सिर्फ आम चुनाव ही नहीं हो रहा है बल्कि यह तय होने वाला है की दलित राजनीति पर आने वाले दिनों में किसका वर्चस्व होगा। हम बात कर रहे हैं मायावती का या दलित राजनीति के नए उभरते चेहरे चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण का...। भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण (Chandrashekar Azad alias Ravan) उत्तर प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की जबरदस्त पैरवी करते थे। इन दलों के नेताओं से उनके गहरे संबंध थे। लेकिन 2022 के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में पता नहीं ऐसा क्या हुआ कि अखिलेश ने चुनाव से ठीक पहले अचानक चंद्रशेखर से दूरी बना ली।
इस चुनाव में अपने लिए एक सीट छोड़ने के लिए चंद्रशेखर अखिलेश यादव के पास भी गए और राहुल गांधी के पास भी पहुंचे। लेकिन सीट नहीं छोड़ी गई और सपा मैदान में कूद गई। चंद्रशेखर नगीना के सुरक्षित सीट से अपनी पार्टी आजाद समाज पार्टी के बैनर तले चुनाव मैदान में है। वह इस सीट पर बहुत अच्छा चुनाव लड़ रहे हैं। यही नहीं आजाद के कारण समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मनोज कुमार कमजोर पड़ते जा रहे हैं। लेकिन परिणाम क्या होगा यह तो समय बताएगा।
'हॉट सीट' पर है चतुष्कोणीय संघर्ष
फिलहाल यहां पर चतुष्कोणीय यानि भारतीय जनता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी और आजाद पार्टी के बीच रोचक लड़ाई हो रही है। नगीना की लड़ाई कितनी रोचक है इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि इस सीट पर मायावती की राजनीतिक विरासत संभालने वाले उनके भतीजे आकाश आनंद ने अपनी पहली रैली नगीना में ही की और वहां पर चंद्रशेखर आजाद पर जमकर बरसे। उन्होंने आजाद पर दलितों को भड़काने और उन्हें गलत रास्ते में ले जाने का आरोप लगाया। लेकिन आजाद इसका सीधा जवाब नहीं देते हैं। उनका कहना है कि बहन जी चाहती हैं कि चंद्रशेखर आजाद यह चुनाव जीत जाए इसीलिए उन्होंने मेरे खिलाफ बहुत कमजोर प्रत्याशी उतारा है।
क्या होगा नगीना का चुनाव परिणाम?
सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर नगीना का चुनाव परिणाम क्या होगा। नहटौर के रामलाल जाटव कहते हैं कि यहां पर BSP और चंद्रशेखर के बीच दलित वोटो का बंटवारा है। किसे ज्यादा मिलेगा? इस सवाल पर वह कहते हैं कि यह चुनाव के समय यह तय होगा। दिलचस्प् तथ्य यह है कि मुस्लिम वोटो का भी यहां बटवारा होगा ऐसा लगता है। सड़क के किनारे ही चुनावी बहस को ध्यान से सुन रहे मोहम्मद नाहिद कहते हैं कि उन्हें लगता है चंद्रशेखर के पक्ष में मुस्लिम वोट ज्यादा जाएगा। उनका वोट तो फिलहाल चंद्रशेखर को ही जाएगा।
रावण को मिलेगा दलित-मुस्लिम का साथ?
क्या मुसलमान चंद्रशेखर के साथ हैं? इस सवाल पर सभी की अपनी-अपनी राय है। कुछ लोग चंद्रशेखर के साथ हैं, जबकि कुछ लोग साइकिल के साथ हैं। अब कौन आगे निकलेगा यह तो 4 जून को ही बता चलेगा। उधर बहुजन समाज पार्टी ने सुरेंद्र मैकवाल को टिकट देकर लड़ाई को रोचक बनाया है। वास्तव में BSP यह कभी नहीं चाहेगी की भीम आर्मी के चंद्रशेखर चुनाव में जीत जाएं। चंद्रशेखर यही चाहते हैं कि किसी तरह नगीना सीट पर विजय हासिल कर वह दलित वोटो में उनकी पकड़ और मजबूत कर ले। यह विजय मायावती को कमजोर कर देगी और चंद्रशेखर को मजबूत। इसलिए BSP के लिए यह लड़ाई जीवन और मरण की है और चंद्रशेखर के लिए भी...।
अखिलेश ने चंद्रशेखर से क्यों किया किनारा?
लकड़ी में सुंदर नक्काशी के काम के लिए मशहूर नगीना में इस बात की चर्चा ज्यादा है कि आखिर अखिलेश यादव ने चंद्रशेखर उर्फ रावण को इस सीट पर प्रत्याशी क्यों नहीं बनाया। वैसे चंद्रशेखर ने यह प्रयास किया था कि वह सपा की मदद से मैदान में उतरे। सपा के कई नेताओं ने चंद्रशेखर से गठबंधन की वकालत भी की थी। लेकिन अखिलेश ने RLD के नेता जयंत चौधरी से गठबंधन टूटने के बाद अपनी रणनीति बदल दी। उन्होंने यह कहकर चंद्रशेखर से भी गठबंधन करने से इनकार कर दिया कि वह किसी को राज्यसभा भेज देते हैं किसी को लोकसभा..। लेकिन वही लोग अवसर पड़ते ही बदल जाते हैं और गठबंधन तोड़ देते हैं।
बीजेपी से कड़े मुकाबले की संभावना
दिलचस्प बात यह है कि केंद्र सरकार ने चंद्रशेखर को जेड प्लस की सुरक्षा दी है, क्योंकि उन्हें खतरा था। इसके पहले भी उन पर हमला हुआ था। अब ज्यों ज्यों चुनाव आगे बढ़ रहा है समाजवादी पार्टी के स्थानीय नेताओं को यह महसूस हो रहा है चंद्रशेखर से बनाई गई दूरी उन्हें नुकसान पहुंचा रही है। भारतीय जनता पार्टी ने यहां पर मजबूत प्रत्याशी उतार दिया है। नहटौर के तीन बार के विधायक ओम कुमार को टिकट दे दिया है। ओम कुमार भी बहुत लोकप्रिय हैं और जनता से जुड़े भी रहे है। इसका असर चुनाव में दिख रहा है। नगीना के ही रामखेलावन कहते हैं कि यहां पर दलित वोटो को बंटवारा निश्चित जान पड़ रहा है क्योंकि सभी प्रत्याशी दलित हैं।
यह सीट सुरक्षित है। बहुजन समाज पार्टी की कोशिश है कि दलित वोटो का बड़ा हिस्सा उसके साथ खड़ा हो जाए। पिछली बार BSP यहां चुनाव जीती थी। इसलिए इस सीट पर हारना उसके लिए महंगा पड़ सकता है। लेकिन तथ्य यह भी है बीएसपी को यह सफलता तब मिली थी जब सपा और रालोद से गठबंधन था। बसपा प्रत्याशी को पूरा मुस्लिम वोट मिला था और दलित वोटो का पूरा समर्थन भी।
मुस्लिम वोटों पर सभी की नजर
इस बार सपा-बसपा अलग है और उस पर भी सपा को मुस्लिम वोटो का झटका लग रहा है। तमाम प्रयासों के बावजूद सपा को पूरा मुस्लिम वोट नहीं मिलेगा। मुस्लिम वोटो का बंटवारा होता है तो यह सपा के लिए महंगा सौदा होगा। यहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है उसे पिछड़ा और अति दलित वोटो का भी समर्थन भी मिल रहा है इसके साथ ही सवर्ण मतदाताओं का समर्थन भी उसके साथ है।
दूसरी ओर चंद्रशेखर BSP का नुकसान कर रहे हैं और सपा का भी। दलित और मुस्लिम वोटो के एक वर्ग के समर्थन के कारण चंद्रशेखर मजबूत हुए है। नगीना के ही सुलेमान कहते हैं कि समाजवादी पार्टी ने यहां पर कुछ गड़बड़ कर दिया है। यदि वह चंद्रशेखर को टिकट दे देते तो उनकी जीत पक्की हो जाती और यह सीट भी समाजवादी पार्टी की झोली में चली जाती। अब यह तय नहीं है कि चार प्रत्याशियों में कौन जीत जाए। बड़ी संख्या मुसलमान चंद्रशेखर का प्रचार भी कर रहे हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां पर BSP के गिरीश चंद्र चुनाव जीते थे। जबकि 2014 में भारतीय जनता पार्टी के डॉक्टर यशवंत चुनाव जीते थे। लेकिन जैसा रोचक इस बार चुनाव हो रहा है वैसा तो कम ही देखने को मिलता है।