स्पोर्ट्स जूते बनाने वाली दिग्गज कंपनी कैंपस एक्टिववियर (Campus Activewear) के शेयरों में आज भारी गिरावट दिख रही है। ब्लॉक डील के तहत इसकी 8.1 फीसदी हिस्सेदारी के बराबर शेयरों का लेन-देन हुआ जिसने शेयरों पर काफी दबाव बनाया। इसके शेयर बीएसई पर 8.56 फीसदी की गिरावट के साथ 337.50 रुपये (Campus Activewear Share Price) पर आ गए हैं। हालांकि खरीदारी और बिक्री करने वाली दोनों पार्टियां कौन हैं, इसका खुलासा नहीं हो पाया है लेकिन माना जा रहा है कि अमेरिकी एसेट मैनेजमेंट फर्म टीपीजी ग्लोबल (TPG Global) ने अपनी पूरी की पूरी हिस्सेदारी बेच दी है।
Campus Activewear में TPG Global की कितनी हिस्सेदारी
कैंपस एक्टिववियर के शेयरों की ब्लॉक डील के तहत टीपीजी ग्लोबल और कुवैत इनेवेस्टमेंट अथॉरिटी फंड ने की है। सूत्रों ने 24 मार्च को CNBC-TV18 को बताया कि टीपीजी ग्लोबल एक ब्लॉक डील के माध्यम से अपनी पूरी हिस्सेदारी बेचना चाह रही थी। इसके पास कैंपस एक्टिववियर में 7.62 फीसदी हिस्सेदारी थी। इस डील के लिए 345 रुपये का फ्लोर प्राइस फिक्स किया गया था। वहीं बाकी शेयर एक और बड़े विदेशी इंस्टीट्यूशनल होल्डिंग कुवैत इनवेस्टमेंट अथॉरिटी ने बेची है जिसकी कंपनी में 1.27 फीसदी हिस्सेदारी थी।
कंपनी के बारे में डिटेल्स
Campus Activewear देश की सबसे बड़ी स्पोर्ट्स फुटवियर ब्रांड्स में शुमार है। इसकी घरेल स्टॉक मार्केट में अप्रैल 2022 में एंट्री हुई थी और ज्यादातर ब्रोकरेज ने इसे सब्सक्राइब की रेटिंग दी थी। लिस्टिंग के बाद से इसमें काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला है। पिछले साल अप्रैल में लिस्टिंग हुई थी और फिर 20 जून 2022 को यह 296.85 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर फिसल गया और इसके बाद फिर चार ही महीने में 19 अक्टूबर 2022 को 640 रुपये के रिकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। हालांकि अब फिर इस हाई से यह 47 फीसदी फिसल चुका है।
दिसंबर 2022 तिमाही में कैंपस का कंसालिडेटेड नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 11.7 फीसदी घटकर 48.31 करोड़ रुपये रहा। हालांकि समान अवधि में इसका ऑपरेशनल रेवेन्यू 7.4 फीसदी बढ़कर 465.62 करोड़ रुपये हो गया। वहीं शेयरों की बात करें तो दिसंबर तिमाही में विदेशी निवेशकों के साथ-साथ घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने कंपनी के कुछ शेयरों की बिक्री की थी।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का मानना है कि कैंपस ग्रुप को मार्केट में अपनी मजबूत स्थिति से फायदा मिलेगा। हालांकि निवेशकों को ध्यान देने की जरूरत है कि इसके ग्राहक दाम को लेकर काफी सेंसेटिव हैं यानी कि कच्चे माल में तेज उछाल का भार कंपनी एक हद तक ही ग्राहकों पर डाल पाएगी।
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