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बजट में बहुत ज्यादा पॉपुलिस्ट एलानों की उम्मीद नहीं , ओमीक्रोन का असर हटने के साथ ही FII की निकासी पड़ेगी हल्की- ज्योति राय

ज्योति राय ने कहा कि अब बाजार की नजर ओमीक्रोन की लहर और ग्लोबल ग्रोथ के इसके असर पर रहेगी। इसके अलावा 1 फरवरी को आने वाला 2022-23 का यूनियन बजट एक बड़ा इवेंट होगा.

अपडेटेड Dec 31, 2021 पर 4:29 PM
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अगले साल यूएस फेड द्वारा एग्रेसिव टैपरिंग के चलते ग्लोबल लिक्विडिटी कम होती नजर आएगी। जिसकी वजह से उभरते बाजारों में एफआईआई के पैसा का प्रवाह धीमा होगा।

एंजेल वन के ज्योति राय बाजार की आगे की दशा -दिशा और आगामी बजट से जुड़ी उम्मीदों पर मनीकंट्रोल से लंबी बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने कहा कि जब तक ओमीक्रोन वैरिएंट के कारण आई कोरोना की लहर शिखर पर नहीं पहुंच जाएगी। तब तक एफआईआई की बिकवाली जारी रहेगी। कोरोना की ओमीक्रोन वैरिएंट की वजह से आई लहर में गिरावट होने के साथ ही एफआईआई की निकासी कम होती नजर आएगी।

उन्होंने इस बातचीत में आगे कहा कि हालांकि कोरोना की इस लहर के हल्की पड़ने के साथ ही एफआईआई की निकासी भी हल्की पड़ेगी लेकिन हमको इसकी उम्मीद नहीं है कि 2022 में विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में बहुत जोरदार तरीके से निवेश करेंगे। इसकी वजह यह है कि अगले साल यूएस फेड द्वारा एग्रेसिव टैपरिंग के चलते ग्लोबल लिक्विडिटी कम होती नजर आएगी। जिसकी वजह से उभरते बाजारों में एफआईआई के पैसा का प्रवाह धीमा होगा।

आगामी बजट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि बजट 2022 में 5 राज्यों में चुनाव नजदीक होने की वजह से कुछ पापुलिस्ट कदम उठाए जा सकते हैं लेकिन वित्तीय मजबूरियों को देखते हुए इस बात की उम्मीद नहीं है कि सरकार इस तरह का कोई बहुत बड़ा कदम उठाएगी।


बाजार पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि 2022 में बैंकिंग और एनबीएफसी काफी अच्छा करता दिखेंगे और निवेशकों की टॉप थीम में शामिल रहेंगे। हालांकि ओवरऑल मार्केट में गिरावट के साथ ही शॉर्ट टर्म में इनमें कुछ करेक्शन देखने को मिल सकता है।

अगले साल बाजार की नजर कहां रहेगी इस पर बात करते हुए ज्योति राय ने कहा कि अब बाजार की नजर ओमीक्रोन की लहर और ग्लोबल ग्रोथ के इसके असर पर रहेगी। इसके अलावा 1 फरवरी को आने वाला 2022-23 का यूनियन बजट एक बड़ा इवेंट होगा। बजट के बाद बाजार की नजरें राज्यों के चुनावों पर जाएगी। यूपी और पंजाब के चुनाव काफी अहम होंगे। इसके अलावा सप्लाई चैन में स्थितियां किस हद तक सामान्य होती है इस पर भी 2022 में निवेशकों का फोकस रहेगा। अगर सप्लाई से जुड़ी मुश्किलें जल्द खत्म हो जाती है तो गुड्स और कमोडिटी की कीमतों में गिरावट आएगी जिससे अंतत: महंगाई का दबाव कम होगा। महंगाई कम होने से यूएस फेड की रुख की आक्रमकता थोड़ी कम होगी जिससे ब्याज दरों में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी।

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दिसंबर 2021 में हुई पिछली फेड मीटिंग में कुछ इस तरह के संकेत भी मिले थे। अगर ऐसा होता है तो यह भारतीय इक्विटी बाजार के लिए अच्छी बात होगी। वहीं अगर 2022 में भी सप्लाई से जुड़ी दिक्कतें बनी रहती है तो अंतत: महंगाई बढ़ती नजर आएगी। जिससे यूएस फेड की मौद्रिक नीति में कड़ाई आती दिखेगी। जो भारत जैसे इक्विटी मार्केट के लिए अच्छा नहीं होगा।

यूनियन बजट पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार इकोनॉमी को राहत देने और ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए बजट के बाहर भी तमाम कदम उठाती रही है। इसमें तमाम सेक्टरों के लिए लाई गई PLI स्कीम और 2022 के लिए 3 लाख करोड़ रुपये के अतिरिक्त खर्च जैसे प्रावधान शामिल है। हमारा मानना है कि सरकार वित्तीय अनुशासन बनाए रखते हुए ग्रोथ को पुश देने के लिए खर्च बढ़ाने की नीति पर कायम रहेगी।

बाजार पर बात करते हुए उन्होंने आगे कहा कि लॉन्ग टर्म नजरिए से देखें तो बैंकिंग सेक्टर के लिए सबसे बुरा दौर बीत चुका है। बैंकों के एसेट क्वालिटी में सुधार आ रहा है। हालांकि कोविड-19 की तीसरी लहर बैंकों के एसेट क्वालिटी पर कुछ दबाव डाल सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए निवेशक इस नियर टर्म वॉलैटिलिटी को BSFI सेक्टर में अपना निवेश बढ़ाने के मौके के तौर यूज कर सकते हैं। इसके अलावा डिजिटल थीम पर भी हमारा विश्वास बना हुआ है। डिजिटल टेक्नोलॉजी की बढ़ती मांग को देखते हुए लगता है कि अगले 2-3 साल तक आईटी सर्विस कंपनियों की ग्रोथ जारी रहेगी।

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