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सुस्त हुआ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का बाजार, डीजल गाड़ियों ने फिर पकड़ी रफ्तार

जहां एक तरफ डीजल गाड़ियां वापसी कर रही हैं, वहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) के बाजार में चिंता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलिसी में अनिश्चितता इसका सबसे बड़ा कारण है। दिल्ली जो EV को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा बाजार था,अब पिछड़ता नजर आ रहा है

MoneyControl Newsअपडेटेड Dec 18, 2024 पर 7:36 PM
सुस्त हुआ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स का बाजार, डीजल गाड़ियों ने फिर पकड़ी रफ्तार
मिड-से हाई-एंड SUV सेगमेंट में डीजल इंजन ज्यादा किफायती साबित हो रहे हैं।दूसरी तरफ लग्जरी ब्रांड्स में डीजल की मांग लगातार बनी हुई है

ऑटो सेक्टर के बाजार में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। डीजल गाड़ियों की बिक्री में वापसी का ट्रेंड है तो इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में सुस्ती दिख रही है। इसके क्या कारण हैं इस पर नजर डालें तो SUV के क्रेज का फायदा डीजल गाड़ियों को मिल रहा है। 2024 के पहले हिस्से में SUV की कुल बिक्री में डीजल का हिस्सा 55 फीसदी तक पहुंच गया है। जबकि 2023 में ये 48 फीसदी था। मिड-से हाई-एंड SUV सेगमेंट में डीजल इंजन ज्यादा किफायती साबित हो रहे हैं। दूसरी तरफ लग्जरी ब्रांड्स में डीजल की मांग लगातार बनी हुई है।

ARDUA (Academy & Research and Director of United Automobiles) के चेयरमैन विंकेश गुलाटी का कहना है कि आज अगर हम 100 गाड़िया बेचते हैं तो उसमें से 50 से 55 SUV हैं। एक समय था जब हमें लगा था कि डीजल मार्केट से बाहर हो जाएगा लेकिन SUV के ग्रोथ पकड़ते हुए डीजल का ग्रोथ हो रहा है। जो मैन्युफैक्चरर डीजल बंद कर चुके हैं वो फिर से शुरू कर रहे हैं।

गौरतलब है कि Skoda भी डीजल मॉडल्स को फिर से बाजार में लाने की तैयारी कर रही हैं। Skoda अगले साल Superb और Octavia जैसे डीजल मॉडल पेश कर सकती है।

जहां एक तरफ डीजल गाड़ियां वापसी कर रही हैं, वहीं इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) के बाजार में चिंता बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि पॉलिसी में अनिश्चितता इसका सबसे बड़ा कारण है। दिल्ली जो EV को बढ़ावा देने वाला सबसे बड़ा बाजार था,अब पिछड़ता नजर आ रहा है। जनवरी 2023 में जहां दिल्ली में 1,435 इलेक्ट्रिक कार रजिस्ट्रेशन हुए थे, वहीं नवंबर तक ये संख्या गिरकर सिर्फ 220 रह गई। इसका मतलब ये है कि 85 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली है। दिल्ली सरकार की EV पॉलिसी अगस्त 2023 में खत्म हो गई। हालांकि, इसे मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है,लेकिन बाजार को लॉन्ग टर्म पॉलिसी का इंतजार है।

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