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इतनी तेजी के बाद भी बाजार में कुछ ऐसे पॉकेट हैं जिनमें नजर आ रही है वैल्यू, वायदा पर सख्ती का फैसला सही

एन जयकुमार ने कहा कि पिछले कई महीनें के दौरान बाजार में गिरावट पर खरीदारी वाली रैली देखने को मिली है। किसी भी बड़ी गिरावट के बाद बाजार में बड़ी रिकवरी भी देखने को मिली है। बाजार में आगे भी ऐसा ही देखने को मिलेगा है। इतनी तेजी के बाद भी बाजार में कुछ ऐसे पॉकेट हैं जिनमें वैल्यू नजर आ रही है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 22, 2024 पर 3:57 PM
इतनी तेजी के बाद भी बाजार में कुछ ऐसे पॉकेट हैं जिनमें नजर आ रही है वैल्यू, वायदा पर सख्ती का फैसला सही
एन जयकुमार का कहना है कि वायदा पर सख्ती का फैसला सही है। लोगों ने 4-5 साल में सिर्फ तेजी का माहौल देखा है। F&O जिस पैमाने पर ट्रेडिंग हो रही है वो खतरनाक है

कल सुबह 11 बजे वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन देश का बजट पेश करेंगी। बजट से बाजार की उम्मीदों और मार्केट आउटलुक पर चर्चा के लिए आज सीएनबीसी-आवाज़ के साथ प्राइम सिक्योरिटीज के मैनेजिंग डायरेक्टर एन जयकुमार जुड़े। एन जयकुमार इकोनॉमी और स्टॉक मार्केट की गहरी समझ रखते हैं और इनके पास कैपिटल मार्केट में कई दशकों का अनुभव है। एन जयकुमार 1993 में प्राइम सिक्योरिटीज में शामिल हुए। सिटीबैंक के इन्वेस्टमेंट बैंकिंग ग्रुप के प्रमुख भी रहे। इनको मनी मार्केट्स और सिक्योरिटीज ट्रेडिंग में कई वर्षों का अनुभव है। ये इक्विटी रिचर्स और वेल्थ मैनेजमेंट में एक बड़ी अथॉरिटी माने जाते हैं। एन जयकुमार IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग और IIM अहमदाबाद से MBA हैं।

एन जयकुमार की राय

एन जयकुमार ने कहा कि पिछले कई महीनें के दौरान बाजार में गिरावट पर खरीदारी वाली रैली देखने को मिली है। किसी भी बड़ी गिरावट के बाद बाजार में बड़ी रिकवरी भी देखने को मिली है। बाजार में आगे भी ऐसा ही देखने को मिलेगा है। इतनी तेजी के बाद भी बाजार में कुछ ऐसे पॉकेट हैं जिनमें वैल्यू नजर आ रही है। हालांकि जो हर सेक्टर में तेजी थी उसमें अब कुछ बदलाव देखने को मिल सकता है। MF में फंड फ्लो नरम पड़ा है। बाजार के लिए अच्छी बात ये है कि विदेशी निवेशक अब बाजार में डेली बेसिस पर आ रहे हैं। ऐसे में उम्मीद है कि अगर बाजार में कोई बड़ा फॉल आता है तो विदेशी निवेशकों की तरफ से खरीदारी आ सकती है।

एफएंडओ मार्केट पर बात करते हुए एन जयकुमार ने कहा कि हर किसी बाजार में बैंकों से ही इक्विटी मार्केट में पैसा आया है। बैंकों को लिए आगे कुछ समय सबसे बड़ी चुनौती डिपॉजिट को लेकर ही रहेगी। इस समय लोग पैसे बनाने के लिए कैपिटल मार्केट की तरफ ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं। इसके चलते बैंकों को गिरते डिपॉजिट के चैलेंज का सामना करना पड़ रहा है। रिटेल में क्रेडिट बढ़ा है। लेकिन डिफॉल्ट का भी खतरा है।

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