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F&O Manual : बाजार की तेजी को लगा ब्रेक, निफ्टी के लिए 19600 पर नियरटर्म सपोर्ट

F&O Manual: वी के विजयकुमार ने कहा कि दो बड़े मैक्रो ट्रेंड हैं जो बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। ग्लोबल ट्रेंड थोड़ा निगेटिव है, जबकि घरेलू ट्रेंड काफी हद तक पॉजिटिव है। सितंबर में अमेरिकी खुदरा महंगाई 3.7 फीसदी पर रही है। ये उम्मीद से थोड़ी ज्यादा रही है। इस हाई महंगाई के ट्रेंड से यह संकेत मिलता है कि अमेरिकी महंगाई को 2 फीसदी के लक्ष्य तक लाने की लड़ाई में ज्यादा समय लगेगा। इसलिए, दरें लंबे समय तक ऊंची रहेंगी

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 13, 2023 पर 3:47 PM
F&O Manual : बाजार की तेजी को लगा ब्रेक, निफ्टी के लिए 19600 पर नियरटर्म सपोर्ट
F&O Manual:अलग शेयरों की बात करें तो एमफैसिस, इंफोसिस और अदानी एंटरप्राइज में शॉर्ट बिल्ड-अप देखने को मिला है। जबकि आइडिया, एचसीएल टेक और टीसीएस में शॉर्ट कवरिंग देखने को मिल रही है

F&O Manual: इक्विटी बेंचमार्क इंडेक्स अपनी लगातार दो दिनों की तेजी के क्रम को तोड़ते हुए गिरावट के साथ कारोबार कर रहे हैं। आईटी, पावर और बैंक इंडेक्स 0.5-1 फीसदी गिरे हैं, जबकि रियल्टी इंडेक्स 1 फीसदी ऊपर कारोबार कर रहा है। बाजार में निचले स्तरों से रिकवरी आई है निफ्टी 100 अंक से ज्यादा टूटकर 19750 के पास आ गया है। लेकिन निफ्टी बैंक में खास सुधार नहीं हुआ है। इंफोसिस और दिग्गज प्राइवेट बैंक दबाव बना रहे हैं। हालंकि मिडकैप इंडेक्स कर रहा है आउटपरफार्म कर रहा है।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि दो बड़े मैक्रो ट्रेंड हैं जो बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। ग्लोबल ट्रेंड थोड़ा निगेटिव है, जबकि घरेलू ट्रेंड काफी हद तक पॉजिटिव है। सितंबर में अमेरिकी खुदरा महंगाई 3.7 फीसदी पर रही है। ये उम्मीद से थोड़ी ज्यादा रही है। इस हाई महंगाई के ट्रेंड से यह संकेत मिलता है कि अमेरिकी महंगाई को 2 फीसदी के लक्ष्य तक लाने की लड़ाई में ज्यादा समय लगेगा। इसलिए, दरें लंबे समय तक ऊंची रहेंगी। इससे इक्विटी बाजारों की तेजी को झटका लगा है।

दूसरी ओर, घरेलू स्थितियां स्पष्ट रूप से अच्छी नजर आ रही हैं। सितंबर में रिटेल महंगाई तेजी से गिरकर 5.02 फीसदी पर रही है। अगस्त की आईआईपी बढ़कर 10.3 फीसदी हो गई। इसका मतलब ये है कि यह है कि एमपीसी वित्त वर्ष 24 की शेष अवधि के लिए दरों में बढ़त पर विराम कायम रख सकती है और कैलेंडर ईयर 2024 की दूसरी तिमाही में दर में कटौती कर सकती है।

हालांकि ये फैक्टर्स अर्थव्यवस्था के लिए पॉजिटिव हैं। लेकिन आईटी दिग्गजों के नतीजों से बाजार पर दबाव पड़ने की संभावना है। आईटी कंपनियां वित्त वर्ष 2024 के लिए कमजोर गाइडेंस और ग्रोथ में मंदी की आशंका से जूझ रही हैं। हालांकि बाजार को आगे बड़े बैंकों से सपोर्ट मिल सकता है।

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