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FIIs की बिकवाली फरवरी में घटने का मतलब यह नहीं कि मार्केट के बुरे दिन खत्म होने जा रहे हैं

सितंबर 2024 के आखिर में मार्केट में गिरावट शुरू हुई थी। तब से मार्केट लगातार गिर रहा है। यह पिछले कई दशकों में इंडियन मार्केट में करेक्शन का सबसे लंबा दौर है। इस गिरावट में विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली की बड़ी भूमिका रही है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Mar 04, 2025 पर 9:51 AM
FIIs की बिकवाली फरवरी में घटने का मतलब यह नहीं कि मार्केट के बुरे दिन खत्म होने जा रहे हैं
फरवरी में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में ज्यादा गिरावट आई। BSE Midcap Index 10.5 फीसदी क्रैश कर गया, जबकि SmallCap Index 14 फीसदी लुढ़का।

विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफएफआई) की बिकवाली की रफ्तार फरवरी में सुस्त पड़ी है। लेकिन, मार्केट एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह इस बात का संकेत नहीं है कि एफएफआई की बिकवाली का ट्रेंड जल्द बदलने जा रहा है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने फरवरी में करीब 4 अरब डॉलर की बिकवाली इंडियन स्टॉक मार्केट्स में की है। यह जनवरी में उनकी 9 अरब डॉलर की बिकवाली से काफी कम है। फरवरी में बिकवाली का मार्केट पर बड़ा असर देखने को मिला। सेंसेक्स 5.6 फीसदी और निफ्टी 5.9 फीसदी क्रैश कर गए।

फरवरी में मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांकों में ज्यादा गिरावट

फरवरी में मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में ज्यादा गिरावट आई। BSE Midcap Index 10.5 फीसदी क्रैश कर गया, जबकि BSE SmallCap Index 14 फीसदी लुढ़का। FIIs ने प्राइमरी मार्केट में 82.49 करोड़ डॉलर का निवेश किया। यह जनवरी में 44.87 करोड़ डॉलर के निवेश से काफी ज्यादा है। निवेशक एफआईआई की खरीदारी शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन, एफआईआई के रुख में जल्द बदलाव आने की उम्मीद नहीं दिखती।

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