अमेरिकी शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट ने अडाणी ग्रुप (Adani Group) की मुश्किलें इस कदर बढ़ाई कि अब इसने अपने लक्ष्य और स्ट्रैटजी में काफी बदलाव किया है। अदाणी ग्रुप के मालिक गौतम अदाणी (Gautam Adani) की कुछ सेक्टर्स में एंट्री की योजना थी लेकिन ब्लूमबर्ग को सूत्रों के हवाले से पता चला है कि अब यह योजना बदल गई है। सूत्रों के मुताबिक अब ग्रुप पेट्रोकेमिकल्स सेगमेंट में एंट्री से पीछे हट रही है और मुंदड़ा में ग्रीनफील्ड कोल-टू-पॉलीविनाइल क्लोराइड के 400 करोड़ डॉलर के प्रोजेक्ट पर भी आगे बढ़ने के आसार फिलहाल नहीं दिख रहे हैं। इसके अलावा कंपनी एलुमिनियम, स्टील और रोड प्रोजेक्ट्स में भी और आगे बढ़ने से पीछे हट रही है।
फिर क्या है अदाणी का योजना
अदाणी की योजना अब कोर प्रोजेक्ट्स पर फोकस करने की है। इसके तहत अब पॉवर जेनेरेशन, पोर्ट्स और ग्रीन एनर्जी पर फोकस है। इन कोर एरिया में भी स्ट्रैटजी बदल गई है। कुछ महीने पहले अदाणी ग्रुप ने एनडीटीवी को खरीद लिया था और उस समय ग्रुप ने कहा था कि यह देश का अपना फाइनेंशियल टाइम्ज या अलजजीरा बनाने की दिशा में पहला कदम है। हालांकि अब सूत्रों का कहना है कि ग्रुप मीडिया सेगमेंट में और कोई खरीदारी नहीं करेगा।
फंडिंग को लेकर भी बदल गई स्ट्रैटजी
215 करोड़ डॉलर का कर्ज चुकता करने के लिए अदाणी परिवार ने शेयरों की बिक्री की और अब वह आगे हाई रिस्क वाले फाइनेंसिंग से दूर रहने की कोशिश करेंगे। अदाणी की योजना अब शेयरों को गिरवी रखकर पैसे जुटाने की बजाय प्राइवेट बॉन्ड प्लेसमेंट्स और दिग्गज निवेशकों को इक्विटी हिस्सेदारी बेचकर पैसे जुटाने की है।
Adani Group क्या कर रहा निवेशकों के भरोसे के लिए
हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में अदाणी ग्रुप की कंपनियों पर स्टॉक मैनिपुलेशन और अकाउंटिंग फ्रॉड का आरोप लगाया गया था। अदाणी ग्रुप ने इन सभी आरोपों से इनकार किया था लेकिन शेयर झटके से नहीं बच सके। ऐसे में अदाणी ग्रुप को अपनी स्ट्रैटजी पर फिर से विचार करना पड़ा क्योंकि निवेशकों में इसकी सेहत को लेकर डर बैठ गया। अदाणी ग्रुप ऐसे में कुछ कर्जों को समय से पहले चुकता करने की स्ट्रैटजी पर काम किया।
अदाणी पोर्ट्स के पास देश के कार्गो वॉल्यूम का करीब एक तिहाई हिस्सा है और यह इजराइल से लेकर श्रीलंका तक अपने कारोबार को फैलाई हुई है। हालांकि इस कारोबार में भी कंपनी ने खर्च आधा करने की योजना तैयार की है और यह 60.8 करोड़ डॉलर (5000 करोड़ रुपये) के कर्ज को समय से पहले चुकता करेगी।
इसके अलावा लागत घटाने के लिए अदाणी ग्रुप को कुछ डील्स से पीछे हटना पड़ा तो सहयोगी कंपनियों ने कुछ डील्स को होल्ड पर रख दिया। फ्रांस की TotalEnergies SE ने अदाणी ग्रुप के साथ एक ग्रीन हाइड्रोजन पार्टनरशिप प्रोजेक्ट को होल्ड पर रख दिया है तो फरवरी में अदाणी ने देश में एक कोल माइन खरीदने की योजना रद्द कर दी। इसके अलावा ग्रुप इलेक्ट्रिसिटी ट्रेडर पीटीसी इंडिया की बोली लगाने से भी पीछे हट गई। निवेशकों का भरोसा लौटाने के लिए अदाणी ग्रुप के एग्जेक्यूटिव्स दुनिया भर में रोडशो कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक इसका असर जल्द ही EBITDA पर दिखेगा और यह मौजूदा 3.1 से गिरकर 2.5 तक आ सकता है।
निवेशकों के लिए ये है सलाह
ब्रोकरेज फर्म अरिहंत कैपिटल मार्केट्स के रिसर्च हेड अभिषेक जैन के मुताबिक रीफाइनेंसिंग कॉस्ट तेजी से ऊपर बढ़ रही है, सेंटिमेंट भी अदाणी के खिलाफ है लेकिन इसी हिसाब से रिस्क प्रीमियम भी हाई है। अभिषेक के मुताबिक निवेशकों का भरोसा लौटाने के लिए यह सब कुछ कर रही है। ऐसे में ब्रोकरेज ने ग्रुप की कंपनियों के शेयरों में पैसे लगाने की सलाह दी है।
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