आम तौर पर सरकारी कंपनी या पीएसयू कंपनी का नाम सुनते ही विदेशी और घरेलू निवेशकों के माथे पर बल पड़ जाते हैं। सरकारी कंपनियों में सरकार की हिस्सेदारी, इन कंपनी के रोजमर्रा के मामलों में सरकारी अधिकारियों के दखल और प्रतिस्पर्धा का अभाव कुछ ऐसे कारण रहे हैं जिसके चलते निवेशक सरकारी कंपनियों का नाम सुनकर बिदक जाया करते हैं। हालांकि कुछ सरकारी कंपनियां इसका अपवाद रही हैं।
