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Explained: रुपया में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट का सिस्टम कैसे काम करेगा ?

आरबीआई ने कहा है कि सेटलमेंट की नई व्यवस्था शुरू करने का मकसद इंडिया के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना है। भारतीय रुपया में ट्रेड करने में देशों की दिलचस्पी बढ़ी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई के इस कदम का मकसद रूस के साथ ट्रेड बढ़ाना है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 13, 2022 पर 6:12 PM
Explained: रुपया में इंटरनेशनल ट्रेड सेटलमेंट का सिस्टम कैसे काम करेगा ?
इस तरह का सिस्टम कुछ साल पहले ईरान के साथ शुरू किया गया था। लेकिन, 2019 में ईरान से तेल का इंपोर्ट बंद करने के इंडिया के फैसले के बाद यह सिस्टम बेकार हो गया।

अब इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट रुपया में होगा। RBI इसके लिए सिस्टम शुरू करने जा रहा है। अभी ज्यादातर इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट (नेपाल और भूटान को छोड़) दुनिया की प्रमुख करेंसी में होता है। इनमें डॉलर, स्टर्लिंग पाउंड, यूरो और येन शामिल हैं। RBI के नई व्यवस्था शुरू करने के बाद अब इंटरनेशनल ट्रेड का सेटलमेंट रुपया में भी हो सकेगा।

आरबीआई ने ट्रेड सेटलमेंट का नया सिस्टम क्यों शुरू किया?

आरबीआई ने कहा है कि सेटलमेंट की नई व्यवस्था शुरू करने का मकसद इंडिया के एक्सपोर्ट को बढ़ावा देना है। भारतीय रुपया में ट्रेड करने में देशों की दिलचस्पी बढ़ी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि आरबीआई के इस कदम का मकसद रूस के साथ ट्रेड बढ़ाना है। यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस अमेरिका, इंग्लैंड और ईयू में अपने डॉलर रिजर्व का इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है।

RBI के इस कदम की कुछ और वजहें भी हैं। इंडिया विदेशी मुद्रा भंडार 588.3 अरब डॉलर है। यह 10 महीनों के आयात के लिए पर्याप्त है। लेकिन, पिछले कुछ समय से आरबीआई इसका इस्तेमाल रुपया को सहारा देने के लिए कर रहा है। डॉलर के मुकाबले में रुपया में लगातार गिरावट आ रही है। इस साल डॉलर के मुकाबले रुपया 6 फीसदी से ज्यादा गिर गया है।

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