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Daily Voice: बुल-रन दौर में बने रहेंगे भारतीय बाजार, 2025 में भी IPO मार्केट में रहेगी तेजी

फंड मैनेजर मोहित खन्ना का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में शुरू हुए स्टार्ट-अप और वीसी इनवेस्टमेंट फेज ने यह सुनिश्चित किया है कि भारत में हर साल लिस्ट होने के लिए पर्याप्त कैंडिडेट रहें। भारतीय बाजारों में मौजूदा करेक्शन ट्रांजीशनरी है और बुल-रन के लंबे वक्त तक रहने के लिए हेल्दी है

Edited By: Moneycontrol Newsअपडेटेड Dec 08, 2024 पर 4:05 PM
Daily Voice: बुल-रन दौर में बने रहेंगे भारतीय बाजार, 2025 में भी IPO मार्केट में रहेगी तेजी

भारतीय बाजार बुल-रन दौर में बने रहने वाले हैं। हाल ही में हुआ करेक्शन बुल-रन के लंबे वक्त तक चलने के लिए हेल्दी है। यह बात फंड मैनेजर और पूर्णार्थ के मोहित खन्ना ने कही है। उन्होंने मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि प्राइमरी बाजारों में मंदी का कोई इश्यू नहीं दिखाई दे रहा है। खन्ना का मानना ​​है कि इससे 2025 में प्राइमरी बाजार जीवंत और उछाल वाले बने रहेंगे। उन्होंने रेपो रेट, देश की आर्थिक वृद्धि समेत कई मुद्दों पर बात की...

क्या ब्याज दर पर RBI का फैसला उम्मीदों के अनुरूप है? फरवरी में होने वाली अगली बैठक में RBI को क्या करना चाहिए?

6 दिसंबर को RBI MPC का बयान काफी हद तक हमारी उम्मीदों के मुताबिक था। रेपो दर को अपरिवर्तित रखने के पक्ष में MPC (मौद्रिक नीति समिति) का 4:2 का फैसला इस तथ्य को उजागर करता है कि महंगाई से लड़ना RBI की सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है। RBI का अनुमान है कि महंगाई वित्त वर्ष 2026 की जुलाई-सितंबर तिमाही में ही अपने 4.0 प्रतिशत के टॉलरेंस बैंड से नीचे जाएगी। लेकिन GDP वृद्धि में मौजूदा और अगली तिमाही में क्रमिक रूप से सुधार होने की उम्मीद है। मेरे हिसाब से, हम ऐसी स्थिति की ओर बढ़ रहे हैं, जहां RBI को आगामी MPC बैठकों में महंगाई और GDP ग्रोथ के बीच अधिक फोकस्ड बैलेंसिंग बनानी होगी।

बैंकिंग उद्योग को राहत देते हुए, RBI ने CRR (कैश रिजर्व रेशियो) में दो किस्तों में 25-25bps की कटौती करने का भी फैसला किया। यह दिसंबर 2024 के अंत तक पूरी हो जाएगी। CRR में कटौती से बैंकिंग सिस्टम में 1.16 लाख करोड़ रुपये की लिक्विडिटी आने की उम्मीद है। इससे बैंकों को उधार लेने की लागत कम करने में मदद मिलेगी। इससे गिरती हुई क्रेडिट ग्रोथ में कमी आनी चाहिए। फरवरी में RBI का फैसला महंगाई और जीडीपी ग्रोथ ट्राजेक्टरी पर निर्भर करेगा। इस पर टिप्पणी करना अभी जल्दबाजी होगी।

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