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जापान के बॉन्ड मार्केट में बढ़ रहा संकट, क्या इंडिया पर भी पड़ सकता है असर?

बैंक ऑफ जापान ने अपनी काफी ज्यादा नरम मॉनेटरी पॉलिसी को बदलने की शुरुआत की थी। लेकिन, इससे बॉन्ड्स में बिकवाली शुरू हो गई। अब नजरें बैंक ऑफ जापान पर टिक गई हैं। जापान पर कर्ज का बोझ दुनिया में सबसे हाई लेवल पर पहुंच गया है। ऐसे में मार्केट सबसे लंबी अवधि वाले बॉन्ड्स पर ज्यादा इंटरेस्ट रेट चाहता है। इससे 'सेल जापान' ट्रेड पर जोर बढ़ता दिख रहा है

Market Deskअपडेटेड Nov 18, 2025 पर 6:21 PM
जापान के बॉन्ड मार्केट में बढ़ रहा संकट, क्या इंडिया पर भी पड़ सकता है असर?
जापान के संस्थागत निवेशकों के पास काफी ज्यादा फॉरेन बॉन्ड्स, शेयर और अल्टरनेटिव एसेट्स हैं।

जापान के बॉन्ड मार्केट में पिछले कई सालों का सबसे बड़ा उथल-पुथल दिख रहा है। लंबी अवधि के बॉन्ड्स की यील्ड कई दशकों की उंचाई पर पहुंच गई है। कीमतों में सबसे ज्यादा गिरावट 20-40 साल के बॉन्ड सेगमेंट में दिखी है। आम तौर पर इस सेगमेंट में कीमतों में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को नहीं मिलता है। ज्यादा उतार-चढ़ाव को देखते हुए बैंक ऑफ जापान को हस्तक्षेप करने को मजबूर होना पड़ा है। कीमतों में स्थिरता के लिए बैंक ऑफ जापान को बॉन्ड की खरीदारी करनी पड़ी है।

बैंक ऑफ जापान पर टिकी निगाहें

Bank of Japan ने अपनी काफी ज्यादा नरम मॉनेटरी पॉलिसी को बदलने की शुरुआत की थी। लेकिन, इससे बॉन्ड्स में बिकवाली शुरू हो गई। अब नजरें बैंक ऑफ जापान पर टिक गई हैं। सवाल है कि हालात से निपटने के लिए जापान का केंद्रीय बैंक क्या कदम उठाएगा? क्या जापान की वित्तीय स्थिति मार्केट्स के लिए खतरा बन रहा है? इनवेस्टर्स को ज्यादा संख्या में नए बॉन्ड्स इश्यू होने की उम्मीद है। सरकार बजट डेफिसिट को पाटने और राजनीतिक अस्थिरता से बचने के लिए नए बॉन्ड्स इश्यू कर सकती है।

'सेल जापान' ट्रेड पर बढ़ रहा जोर

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