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सरकारी बैंकों के अगले मर्जर में दूर करनी होंगी ये खामियां, पूर्व बैंक अधिकारियों ने दी चेतावनी

मर्जर के पहले दौर में छोटे और कमजोर बैंकों का बड़े बैंकों में विलय हुआ था। लेकिन अब, छोटे बैंक धीरे-धीरे मजबूत हैं। उदाहरण के तौर पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे छोटे बैंकों ने पिछले 5 सालों में लगभग 200% की ग्रोथ की है। ऐसे में यह चिंता उठ रही हैं कि कहीं इन बैंकों का मर्जर ऐसे बैंकों में न कर दिया जाएगा, जिनकी ग्रोथ उनके मुकाबले धीमी है

Edited By: Vikrant singhअपडेटेड Nov 18, 2025 पर 8:13 PM
सरकारी बैंकों के अगले मर्जर में दूर करनी होंगी ये खामियां, पूर्व बैंक अधिकारियों ने दी चेतावनी
सरकार मर्जर के जरिए भारतीय बैंकों को दुनिया की बड़ी ग्लोबल बैंकों के समकक्ष खड़ा करना चाहती है

सरकारी बैंकों (PSB) में मर्जर के एक और बड़े दौर की चर्चा जोरों पर हैं। सरकार ने भी हाल ही में ऐसे कुछ संकेत दिए हैं। इस संभावित मर्जर को लेकर हमारे सहयोगी CNBC-TV18 ने कुछ पूर्व बैंकरों से बातचीत है। इनमें RBI के पूर्व डिप्टी गवर्नर और बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व सीएमडी एसएस मुंद्रा, SBI के पूर्व चेयरमैन दिनेश कुमार खारा, इंडियन बैंक की पूर्व MD पद्मजा चुंडुरु और PNB के पूर्व एमडी सुनील मेहता शामिल हैं।

चारों दिग्गजों का मानना है कि अगला मर्जर सिर्फ बैंकों का साइज बढ़ाने का तरीका नहीं होना चाहिए, बल्कि इसमें वर्क कल्चर, पूंजी (कैपिटल), और वास्तविक तालमेल पर भी फोकस करना चाहिए।

मर्जर के पहले दौर में छोटे और कमजोर बैंकों का बड़े बैंकों में विलय हुआ था। ऐसे में शेयरधारकों में अधिक नाराजगी नहीं थी। लेकिन अब, छोटे बैंक धीरे-धीरे मजबूत हैं। उदाहरण के तौर पर बैंक ऑफ महाराष्ट्र जैसे छोटे बैंकों ने पिछले 5 सालों में लगभग 200% की ग्रोथ की है। ऐसे में यह चिंता उठ रही हैं कि कहीं इन बैंकों का मर्जर ऐसे बैंकों में न कर दिया जाएगा, जिनकी ग्रोथ उनके मुकाबले धीमी है।

एसएस मुंद्रा से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि जब सरकार भविष्य में बैंकों के मर्जर की योजना बनाएगी, तो वह इन बातों को ध्यान में रखेगी? इस पर मुंद्रा ने कहा कि जिन बैंकों की बात हो रही है, उनमें सरकार अभी भी बहुमत शेयरधारक है। इसलिए वह शेयरधारकों के हितों को नजरअंदाज नहीं करेगी।

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