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कंपनियां IPO के प्रमोशन के लिए फिनफ्लूएंसर्स को फीस ऑफर कर रही, नियमों की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां

ऐसे फिनफ्लूएंसर्स जो सेबी में रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें ऐसे कंटेंट प्रमोट करने के लिए कहा जाता है जिसमें आईपीओ को निवेश का बड़ा मौका बताया जाता है। ऐसे कंटेंट्स में इन शेयरों को मल्टीबैगर अपॉर्चुनिटीज के रूप में पेश किया जाता है

MoneyControl Newsअपडेटेड Oct 04, 2023 पर 5:48 PM
कंपनियां IPO के प्रमोशन के लिए फिनफ्लूएंसर्स को फीस ऑफर कर रही, नियमों की उड़ाई जा रही हैं धज्जियां
कंटेंट तैयार करने वाले लोगों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में ऐसे रिक्वेस्ट की संख्या बढ़ी है। सामान्य कंटेंट तैयार करने की जो फीस मिलती है, उसके मुकाबले आईपीओ से जुड़े कंटेंट के लिए 20-40 फीसदी ज्यादा फीस दी जाती है।

आईपीओ पेश करने वाली कंपनियां प्रमोशनल कंटेंट पोस्ट करने के लिए फिनल्यूएंसर्स (Finfluencers) की मदद लेना चाहती हैं। यह एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) की गाइडलाइंस और नियमों का उल्लंघन है। ऐसे फिनफ्लूएंसर्स जो सेबी में रजिस्टर्ड नहीं हैं, उन्हें ऐसे कंटेंट प्रमोट करने के लिए कहा जाता है जिसमें आईपीओ को निवेश का बड़ा मौका बताया जाता है। ऐसे कंटेंट्स में इन शेयरों को मल्टीबैगर अपॉर्चुनिटीज के रूप में पेश किया जाता है।

कंपनियां एजेंट के जरिए करती हैं संपर्क

एक फिनफ्लूएंसर्स ने बताया कि कंपनियां चाहती हैं कि हम #ad लगाए बगैर उसके आईपीओ के बारे में बात करें। यह ASCI की गाइडलाइंस के खिलाफ है, जिसमें कहा गया है कि सोशल-मीडिया इनफ्लूएंसर्स को ऐसे डिसक्लोजर लेवल का इस्तेमाल करना होगा, जिससे यह पहचान हो जाए कि यह कंटेंट एडवर्टाइजमेंट का हिस्सा है। आईपीओ पेश करने वाली कंपनियों फिनफ्लूएंसर्स को सीधे एप्रोच नहीं करती हैं। वे यह काम एजेंट या एजेंसी के जरिए करती हैं। यहां तक कि पेमेंट भी उन्हीं के जरिए होता है।

बढ़ रही फिनफ्लूएंसर्स के प्रमोशनल कंटेंट की  डिमांड

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