Paytm Buyback: पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्यूनिकेशंस (One 97 Communications) ने गुरुवार को शेयर बाजारों को अपने बायबैक की योजना की जानकारी दी थी। इसके अगले दिन शेयरों में शानदार उछाल रही। हालांकि बायबैक को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई है कि क्या यह पूंजी का सही इस्तेमाल है? आमतौर पर शेयर बायबैक का फैसला कंपनी तब करती है जब उसके पास नगदी की अधिकता होती है तो वह इसे शेयरहोल्डर्स को इस विंडो के जरिए देने का फैसला करती है। सितंबर 2022 के नतीजे के मुताबिक पेटीएम के पास 9182 करोड़ रुपये की नगदी है जिसमें से 5600 करोड़ रुपये आईपीओ के जरिए जुटाए गए पैसों में से बचा हुआ फंड है। हालांकि पेटीएम के आईपीओ निवेशकों की पूंजी जब 75 फीसदी घट चुकी है तो ऐसे समय में शेयर बायबैक का फैसला क्यों लिया जा रहा है। इसे लेकर सभी तरह के जो सवाल उठ रहे हैं, उनके जवाब नीचे दिए जा रहे हैं।
Paytm का बिजनेस मॉडल कारगर नहीं दिख रहा है। निवेशकों को इसके कारोबार में भरोसा कम है और उसके मैनेजमेंट में उससे भी कम। पेटीएम का मैनेजमेंट निवेशकों को भरोसा ही नहीं दिला पा रहा कि उसका कारोबारी मॉडल बेहतर है। कई इंस्टीट्यूशनल निवेशक पेटीएम से सम्मानजनक तरीके से यानी कि अगर अच्छा मुनाफा न मिले तो कम से कम नुकसान में निकला जा सके।
हालांकि ऐसी स्थिति बनती नहीं दिख रही है क्योंकि पहले ही यह इश्यू प्राइस से करीब 75 फीसदी डिस्काउंट पर है। पेटीएम के मैनेजमेंट ने अपनी तरफ से एनालिस्टों को अपने बिजनेस मॉडल और आगे के कदमों के बारे में समझाने की पूरी कोशिश की लेकिन कुछ दिनों तक मजबूती के बाद फिर कमजोरी दिखने लगी।
क्या है Paytm का बिजेनस मॉडल
सितंबर 2023 में पेटीएम का रिजल्ट बेहतर रहा और कंपनी ने सितंबर 2023 तक ब्रेक-इवन हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इसके बावजूद पेटीएम का बिजनेस म़ॉडल निवेशकों को भरोसेमंद नहीं लग रहा है। पेटीएम में भरोसा करने वाले एनालिस्ट्स इसके लेंडिंग बिजनेस के दम पर दांव लगा रहे हैं जो तेजी से बढ़ रहा है। पेटीएम फाइनेंसर्स और ग्राहकों के बीच एक माध्यम के तौर पर काम करती है। हर लोन के लिए पेटीएम को कुछ हिस्सा मिलता है और जिस तेजी से लेंडिंग बिजनेस बढ़ रहा, पेटीएम की कमाई भी बढ़ रही है।
अक्टूबर 2022 तक इसने 37 हजार करोड़ रुपये के सालाना रन रेट पर लोन बांटे। लोन की वैल्यू अक्टूबर 2022 में सालाना आधार पर 387 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 3056 करोड़ रुपये और इसकी संख्या 161 फीसदी बढ़कर 34 लाख रही। इसके अलावा पेटीएम दुकानदारों को पेमेंट डिवाइस बेचती है जिसके लिए हर महीने एक निश्चित फीस लेती है। देश भर में ऐसे 51 लाख डिवाइस कंपनी ने बेचे हैं। अब कंपनी ने मोबाइल बैलेंस रिचार्ज समेत कुछ ट्रांजैक्शन के लिए प्लेटफॉर्म फीस लेने लगी है।
दिक्कत कहां आ रही है इस बिजनेस मॉडल में
पेटीएम का लेंडिंग बिजेनस आगे बढ़ रहा है। पेमेंट डिवाइस के लिए यह दुकानदारों से हर महीने फीस लेती है। इसके अलावा कुछ ट्रांजैक्शन के लिए इसने चार्ज वसूलना शुरू कर दिया है। हालांकि यह किसी भी सेग्मेंट में लीडरशिप की स्थिति में नहीं है। उदाहरण के लिए अन्य लिस्टेड डिजिटल कारोबार के मामले में है जैसे कि एफएसएन ई-कॉमर्स यानी नायका, जोमैटो या पीबी फिनटेक।
Paytm के लिए क्या है उम्मीद की किरण
पेटीएम का लेंडिंग कारोबार बेहतर तरीके से आगे बढ़ रहा है और इसी के दम पर एनालिस्ट्स पेटीएम पर दांव लगा रहे हैं। अब अगर पेमेंट बिजनेस की बात करें तो इसमें अगर स्थिति में बदलाव आता है तो पेटीएम को फायदा मिल सकता है। भारत में सबसे बड़ा पेमेंट नेटवर्क रूपे कार्ड (Rupay Card) है और यूपीआई ने भी लोगों को बिना किसी चार्ज के आसानी से पैसों के लेन-देन में सहूलियत दी है।
अब यूपीआई जैसे-जैसे आगे बढ़ती है तो अगर बैंक इसकी सर्विसेज के लिए चार्ज लेने लगें तो पेटीएम को भी इससे फायदा मिलेगा। अभी जो सर्विसेज पेटीएम फ्री में दे रही है, उसके लिए भी कमाई होने लगेगी। इसके अलावा पेटीएम के लिए एक और स्थिति पॉजिटिव होगी, अगर इसे कोई ऐसी बड़ी कंपनी खरीद लेती है जो देश के डिजिटल रिटेल स्पेस में अपना दबदबा बनाना चाहती हो। हालांकि इनकी संभावना फिलहाल बहुत कम दिख रही है।