कोविड-19 के दूसरी लहर के बीच भारत के हेल्थ इंफ्रा स्ट्रक्चर को सपोर्ट करने के लिए आरबीआई ने 5 मई को 50,000 करोड़ रुपये के टर्म लिक्विडिटी फेसिलिटी का एलान किया है। इसकी अवधि 3 साल होगी।
कोविड-19 के दूसरी लहर के बीच भारत के हेल्थ इंफ्रा स्ट्रक्चर को सपोर्ट करने के लिए आरबीआई ने 5 मई को 50,000 करोड़ रुपये के टर्म लिक्विडिटी फेसिलिटी का एलान किया है। इसकी अवधि 3 साल होगी।
आरबीआई गर्वनर शक्तिकांता दास ने कहा कि इस स्कीम के तहत बैंक वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों, वैक्सीन और मेडिकल इक्युपमेट की इंपोर्ट करने वाली कंपनियों, अस्पतालों, डिस्पेंसरी , पैथोलॉजी लैब्स, ऑक्सीजन के उत्पादक और वितरक, वेटिलेंटर बनाने और इंपोर्ट करने वाली कंपनियों, कोविड-19 की दवाएं और वैक्सीन इंपोटर्स और कोविड से संबंधित लॉजिस्टिक सपोर्ट देने वाली कंपनियों को बैंक कर्ज दे सकेंगे।
इस स्कीम के तहत कोविड -19 मरीजों के इलाज के लिए भी फंडिंग की जा सकेगी। इस तरह के लेडिंग करने वाले बैंकों के लिए priority sector स्टेटस को भी 31 मार्च 2022 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है।
इस लक्ष्य से दिए गए लोन को उनके रीपेमेंट या मैच्योरिटी तक, इनमें से जो पहले हो, priority sector के तहत रखा जाएगा।
बैंक इस तरह के कर्ज बॉरोअर्स को सीधे तौर पर अथवा आरबीआई द्वारा रेगुलेटेड वित्तीय संस्थाओं के माध्यम से दे सकेंगे। इस स्कीम के तहत बैंकों को कोविड लोन बुक बनाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
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