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Rupee at Record Low: रुपये के लिए दिसंबर 2024 दो साल का सबसे खराब महीना! इस कारण टूटकर आया रिकॉर्ड निचले स्तर पर

Rupee at Record Low: यह महीना दिसंबर रुपये के लिए दो साल का सबसे खराब महीना साबित होने वाला है। डॉलर के मुकाबले अगर इस महीने रुपये की गिरावट ऐसी ही जारी रही तो लगातार सातवें साल यह कमजोर होगा। जानिए कि किस भाव तक रुपया आ सकता है? इस पर इतना दबाव क्यों दिख रहा है और आने वाले समय में यानी अगले साल 2025 में इसके सामने क्या चुनौतियां हैं?

अपडेटेड Dec 27, 2024 पर 2:34 PM
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वित्त मंत्रालय ने अपनी हालिया मासिक आर्थिक समीक्षा में वैश्विक विकास के लिए बढ़ते जोखिमों का उल्लेख किया है।

Rupee at Record Low: नॉन-डिलीवरेबल फारवर्ड्स डॉलर की मांग लगातार मजबूत बनी हुई है। इसके चलते रुपया आज लगाताव नवें दिन कमजोर हुआ है और लुढ़कर एक डॉलर के मुकाबले यह 85.73 रुपये के रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। इस साल रुपया 3 फीसदी कमजोर हो चुका है और लगातार सातवें साल इसके कमजोर बने रहने के आसार दिख रहे हैं। जिस हिसाब से रुपया गिर रहा है, उससे यह महीना इसके लिए दो साल में सबसे खराब साबित होने वाला है। रुपये को नवंबर में कारोबारी घाटे ने और झटका दिया। नवंबर में में भारत का ट्रेड डेफिसिट उम्मीद से कहीं अधिक 3780 करोड़ डॉलर के रिकॉर्ड हाई को छू दिया। वैश्विक स्तर पर मांग कमजोर होने के चलते भारतीय निर्यात को झटका लगा जबकि आयात बढ़ गया जिससे ट्रेड डेफिसिट बढ़ा।

Rupee vs Dollar: किस भाव तक आ सकता है रुपया?

नुवामा इंस्टीट्यूशनल का मानना है कि मार्च के आखिरी तक यह 86 रुपये के भाव तक टूट सकता है जबकि कोटक सिक्योरिटीज का मानना है कि रुपया यह लेवल और पहले भी छू सकता है।

एनालिस्ट मार्च 2025 का अनुमान
कोटक सिक्योरिटीज ₹86.50
नुवामा इंस्टीट्यूशनल ₹86.00
एचडीएफसी बैंक ₹85-₹86
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ₹85.50


एनालिस्ट्स का क्या कहना है?

आरबीआई ने आधिकारिक तौर पर नए गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​के नेतृत्व में फिलहाल फोरेक्स मार्केट में हस्तक्षेप की रणनीति में किसी बदलाव की बात नहीं कही। एनालिस्ट्स के मुताबिक टैक्स आउटफ्लो और आरबीआई की फॉरेन एक्सचेंज में हस्तक्षेप के चलते बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी की कमी सात महीने के रिकॉर्ड हाई लेवल पर पहुंच गई है। आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप के रिसर्च हेड ए प्रसन्ना ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत में कहा कि रुपये को आर्थिक मूलभूत सिद्धांतों के अनुसार चलने देना चाहिए और रिजर्व्स को बर्बाद करने से बचना चाहिए, ताकि लिक्विडिटी की दिक्कत और न बढ़े। ब्लूमबर्ग न्यूज से हाल ही में ओवरसी-चाइनीज बैंकिंग कॉर्प के करेंसी स्ट्रैटेजिस्ट क्रिस्टोफर वोंगने कहा था कि इस प्रकार के माहौल में हस्तक्षेप सिर्फ करेंसी के अवमूल्यन यानी गिरावट की स्पीड की धीमा कर सकता है। इसके अलावा Malayan Banking Berhad में फोरेक्स के एक स्ट्रैटेजिस्ट एलन लाउ ने ब्लूमबर्ग न्यूज से कहा कि कमजोर लिक्विडिटी रुपये की कमजोरी और बढ़ा रही है।

आगे इस कारण दिख सकता है दबाव

वित्त मंत्रालय ने अपनी हालिया मासिक आर्थिक समीक्षा में वैश्विक विकास के लिए बढ़ते जोखिमों का उल्लेख किया है। मंत्रालय ने चेतावनी दी है कि अगले साल वर्ष 2025 में वैश्विक व्यापार में अनिश्चितताएं बढ़ने की संभावना है, खासकर अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद हाई टैरिफ लगाए जाने के चलते। ऐसे हालात में भारतीय रुपये पर दबाव बना हुआ है, और यह स्थिति सभी विकासशील देशों की मुद्राओं के लिए भी चुनौतीपूर्ण बन सकती है। फिलहाल बाकी विकासशील देशों की तुलना में रुपया मजबूत ही दिख रहा है क्योंकि वित्त वर्ष में नवंबर के आखिरी तक रुपया एक रेंज में ही रहा और जी20 देशों की करेंसी के मुकाबले इसमें कम उतार-चढ़ाव दिखा। अप्रैल 2024 से अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया महज 1.2% कमजोर हुआ है लेकिन दक्षिण कोरिया का वोन इस दौरान 2.2% और ब्राजील का रियल 12.7% कमजोर हुआ है।

Rupee Fall impact on Stock Market: स्टॉक मार्केट पर असर?

डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया है। इसका फार्मा कंपनियों को फायदा हो सकता है क्योंकि इनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा निर्यात से आता है। रुपया कमजोर होने से इन्हें जो डॉलर रेवेन्यू हासिल होगा, वह रुपये के टर्म में अधिक होगा।

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