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IPO की सही वैल्यूएशन के लिए SEBI ने केपीआई डिस्क्लोजर पर सख्ती बढ़ाई, जानिए क्या है यह पूरा मामला

SEBI का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि आईपीओ के लिए कंपनी की जो वैल्यूएशन तय की गई है, वह सही है या नहीं। सेबी इस पर नजर रख रखा है कि अगर कंपनी ने आईपीओ से पहले फंड जुटाने के लिए इनवेस्टर्स को जो केपीआई पेश किए हैं, उनमें और IPO के लिए पेश केपीई में कितना संबंध है

MoneyControl Newsअपडेटेड May 29, 2024 पर 4:40 PM
IPO की सही वैल्यूएशन के लिए SEBI ने केपीआई डिस्क्लोजर पर सख्ती बढ़ाई, जानिए क्या है यह पूरा मामला
SEBI ने सितंबर 2022 में KPI का कॉन्सेप्ट पेश किया था। इसमें कंपनियों को उस प्राइस की जानकारी देने सहित कई जानकारियां देने को कहा गया था, जिस पर उसने पहले फंड जुटाए हैं।

सेबी ने न्यू एज कंपनियों के की परफॉर्मेंस इंडिकेटर्स (केपीआई) से जुड़े डिसक्लोजर पर करीबी नजर रखनी शुरू कर दी है। मार्केट रेगुलेटर खासकर उन स्टार्टअप्स और डिजिटल कंपनियों के मामले में सख्ती बरत रहा है, जिन्होंने आईपीओ लॉन्च करने का प्लान बनाया है। इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि सेबी ने कुछ कंपनियों के केपीआई में बदलाव पर रिपोर्ट मांगी है। सेबी जानना चाहता है कि फंड जुटाने के समय पेश किए गए केपीआई और पब्लिक इश्यू के दौरान पेश किए केपीआई में बदलाव कितना सही है। सेबी का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि किसी कंपनी के आईपीओ में बोली लगाने वाले निवेशकों से शेयरों की बहुत ज्यादा कीमत वसूल नहीं की जाए।

KPI का मतलब क्या है?

KPI का मतलब ऐसे डेटा से है, जिनकी मदद से कंपनी के प्रदर्शन के बारे में पता चलता है। इनमें नेट प्रॉफिट (Net Profit), रेवेन्यू (Revenue) और दूसरे तरह के रेशियो शामिल हैं। कंपनी के केपीआई को ट्रैक करने के लिए एनालिटिक्स सॉफ्टवेयर और रिपोर्टिंग टूल्स का इस्तेमाल होता है। केपीआई को की सक्सेस इंडिकेटर्स भी कहा जाता है। अलग-अलग कंपनी और अलग-अलग इंडस्ट्री के हिसाब से केपीआई अलग-अलग हो सकते हैं।

केपीआई पर सेबी क्यों रख रहा करीबी नजर

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