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SEBI: कुछ ही सेकेंड्स में 1 अरब डॉलर का प्रॉफिट, सेबी की जांच से क्या सच्चाई सामने आएगी?

जेन स्ट्रीट के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ाने का सेबी का फैसला स्वागतयोग्य है। मार्केट रेगुलेटर ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के जेन स्ट्रीट को क्लिन चिट देने के बावजूद यह फैसल किया है। जेन स्ट्रीट पर मैनिपुलेटिव ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करने का आरोप है, जिससे उसे भारी मुनाफा हुआ, जबकि कुछ इंडियन फर्मों को लॉस हुआ

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड May 23, 2025 पर 10:22 AM
SEBI: कुछ ही सेकेंड्स में 1 अरब डॉलर का प्रॉफिट, सेबी की जांच से क्या सच्चाई सामने आएगी?
यह पूरा मामला जनवरी 2025 में तब सामने आया था, जब एनएसई को कुछ असाधारण ट्रेडिंग पैटर्न्स देखने को मिले थे, जो जेन स्ट्रीट सहित कुछ हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) फर्मों से जुड़े थे।

सेबी ने जेन स्ट्रीट के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ाने का ऐलान किया है। जेन स्ट्रीट एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म है, जिसकी पहचान दुनियाभर में है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के जेन स्ट्रीट को क्लिन चिट देने के बावजूद सेबी ने यह ऐलान किया है। इस ट्रेडिंग फर्म पर मैनिपुलेटिव ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करने का आरोप है, जिससे उसे भारी मुनाफा हुआ। इसका नुकसान इंडियन ट्रेडर्स को उठाना पड़ा। यह पूरा मामला जनवरी 2025 में तब सामने आया था, जब एनएसई को कुछ असाधारण ट्रेडिंग पैटर्न्स देखने को मिले थे, जो जेन स्ट्रीट सहित कुछ हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (एचएफटी) फर्मों से जुड़े थे।

हालांकि, ये ट्रेड्स कुछ सेकेंड्स के अंदर हुए थे, लेकिन उनका असर काफी व्यापक था। इससे एक चेन रिएक्शन बना था, जिसने मार्केट की चाल उस दिशा में मोड़ दिया था, जो इन फर्मों के लिए फायदेमंद था। इन ट्रेड्स की वजह से कुछ दूसरे ट्रेडर्स के स्टॉपलॉस ट्रिगर हुए थे जिसका काफी असर पड़ा था। इससे बाजार में भी उतारचढ़ाव बढ़ा था। यह साफ है कि इन ट्रेड्स की वजह से मार्केट में अनुचित फायदा उठाने की स्थिति बनाई गई थी।

जेन स्ट्रीट का इंडिया में ऑपरेशन कितना बड़ा है, इसका पता तब चला था जब प्रतिद्वंद्वी कंपनी Millennium Management के साथ कोर्ट में उसकी लड़ाई सामने आई थी। कोर्ट में मामले की सुनवाई से यह पता चला था कि इंडिया में इक्विटी डेरिवेटिव ट्रेडिंग से Jane Street ने 1 अरब डॉलर का प्रॉफिट कमाया था। इसके बाद जांच का दायरा बढ़ने पर कुछ फर्मों के आपस में मिलकर काम करने का पता चला था, जो संभवत: इन फर्मों का एक कार्टल हो सकता है।

इस कार्टल की कथित गतिविधियां अप्रैल 2024 में निगाह में आई थीं, जब कुछ खास इंडेक्स की एक्सपायरी थी। ट्रेडर्स ने सूचकांकों में कोऑर्डिनेटेड पोजीशनिंग का पैटर्न पाया था, जिसके बाद कुछ ऐसे बड़े अंडरलाइंग स्टॉक्स में तेज उतारचढ़ाव दिखा था, जिनकी सूचकांक में बड़ी हिस्सेदारी थी। मार्केट को मैनिपुलेट करने के मकसद से जानबूझकर ऐसे मूवमेंट पैदा करने की कोशिश की गई थी।

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