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PSU के लिए डीलिस्टिंग बनेगी आसान, दो-तिहाई पब्लिक शेयरहोल्डर्स की मंजूरी की जरूरत खत्म; SEBI की मीटिंग में कई बड़े फैसले

SEBI Board Meet Decisions: अब डीलिस्ट होने की इच्छा रखने वाले PSU मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नॉर्म को पूरा किए बिना शेयर बाजार से हट सकते हैं। इसके अलावा, डीलिस्टिंग एक फिक्स्ड प्राइस पर हो सकती है। यह तुहिन कांत पांडेय के सेबी चेयरमैन बनने के बाद बोर्ड की दूसरी मीटिंग थी

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Jun 18, 2025 पर 11:31 PM
PSU के लिए डीलिस्टिंग बनेगी आसान, दो-तिहाई पब्लिक शेयरहोल्डर्स की मंजूरी की जरूरत खत्म; SEBI की मीटिंग में कई बड़े फैसले
वर्तमान नियमों के तहत, ​अगर किसी PSU में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत तक पहुंचती है, तो डीलिस्टिंग सफल है।

कैपिटल मार्केट रेगुलेटर SEBI के बोर्ड ने 18 जून की मीटिंग में कई प्रपोजल्स को मंजूरी दी। उनमें से एक यह रहा कि ऐसी पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स (PSU), जिनमें सरकार के पास 90 प्रतिशत या उससे ज्यादा हिस्सेदारी है और जो अपनी मर्जी से शेयर बाजार से डीलिस्ट होना चाहते हैं, उनके लिए सेबी विशेष उपाय शुरू करेगा। इन उपायों में डीलिस्टिंग के लिए दो-तिहाई पब्लिक शेयरहोल्डर्स की मंजूरी की जरूरत से छूट और फ्लोर प्राइस के कंप्यूटेशन का तरीका शामिल है।

वर्तमान नियमों के तहत, ​अगर किसी PSU में प्रमोटर्स की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत तक पहुंचती है, तो डीलिस्टिंग सफल है। इसके अलावा, डीलिस्टिंग के लिए फ्लोर प्राइस को 60 दिन के एवरेज प्राइस और पिछले 26 सप्ताह के सबसे ज्यादा प्राइस जैसे कई प्राइसिंग मैट्रिक्स की मदद से कैलकुलेट किया जाता है। ये नियम पीएसयू के लिए शेयर बाजार से डीलिस्ट होने की लागत को बढ़ाते हैं।

फिक्स्ड प्राइस पर हो सकेगी डीलिस्टिंग

अब डीलिस्ट होने की इच्छा रखने वाले PSU मिनिमम पब्लिक शेयरहोल्डिंग नॉर्म को पूरा किए बिना शेयर बाजार से हट सकते हैं। इसके अलावा, डीलिस्टिंग एक फिक्स्ड प्राइस पर हो सकती है। साथ ही ​ऐसे PSU जिनमें प्रमोटर की होल्डिंग 90 प्रतिशत है, उसकी डीलिस्टिंग के लिए अब दो तिहाई पब्लिक शेयरहोल्डर्स की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी।

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