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SEBI के नए नियम से 35000 करोड़ रुपये के स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट मार्केट को लग सकता है झटका, जानिए क्या है पूरा मामला

SEBI एक सर्कुलर तैयार कर रहा है, जिसमें इडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस में एक्सपोजर की लिमिट तय की गई है। स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स ऑफर करने वालों को डर है कि इससे उन्हें अपनी पोजीशन खत्म करने को अचानक मजबूर होना पड़ सकता है। इसका उनके प्रोडक्ट्स के रिटर्न पर खराब असर पड़ेगा

MoneyControl Newsअपडेटेड May 28, 2025 पर 3:35 PM
SEBI के नए नियम से 35000 करोड़ रुपये के स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट मार्केट को लग सकता है झटका, जानिए क्या है पूरा मामला
इंडस्ट्री भी स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स के लिए अलग कैटेगरी की मांग करती आ रही है। इससे हेजिंग के लिए पोजीशन की सीमा नहीं रह जाएगी।

करोड़ों रुपये के स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट मार्केट को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। इसकी वजह नियमों में होने वाला बदलाव है। मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने सेबी से इंडेक्स डेरिवेटिव्स पर ऐसे इंस्ट्रूमेंट्स को नई पोजीशन लिमिट से छूट देने की गुजारिश की है। स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट में इक्विटी, डेट और इक्विटी डेरिवेटिव्स शामिल होते हैं। आम तौर पर हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (एचएनआई) ऐसे प्रोडक्ट में इनवेस्ट करते हैं। ऐसे प्रोडक्ट का टिकट साइज 1 करोड़ रुपये और इससे ज्यादा होता है। एक अनुमान के मुताबिक, स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स का मार्केट 35,000 करोड़ रुपये का है।

नए नियम लागू हुए तो F&O में अचानक पोजीशन खत्म करना पड़ सकता है

SEBI एक सर्कुलर तैयार कर रहा है, जिसमें इडेक्स फ्यूचर्स और ऑप्शंस में एक्सपोजर की लिमिट तय की गई है। स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स ऑफर करने वालों को डर है कि इससे उन्हें अपनी पोजीशन खत्म करने को अचानक मजबूर होना पड़ सकता है। इसका उनके प्रोडक्ट्स के रिटर्न पर खराब असर पड़ेगा। इस मसले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, "इस बारे में रिप्रजेंटेशन सेबी से मिला है। रेगुलेटर से स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स को लॉन्ग डेल्टा एंड-ऑफ-डे पोजीशन लिमिट से छूट देने की मांग की गई है।"

इंडस्ट्री स्ट्रक्चर्ड प्रोडक्ट्स के लिए अलग कैटेगरी की मांग कर रही है

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