बाजार में ब्लॉक डील की भरमार लगी हुई है। कई कंपनियों में लगातार बड़े सौदे हो रहे हैं। हिस्सा बेचकर प्रोमोटर्स बाजार की तेजी को भुना रहे हैं। इस साल की ब्लॉक डील एक्टिविटी का एक बड़ा हिस्सा बहुराष्ट्रीय कंपनियों और प्रमोटरों द्वारा लिस्टेड कंपनियो में अपनी हिस्सेदारी बेचने के रूप में देखने को मिली है। इस दौरान संस्थागत निवेशकों ने अपनी होल्डिंग्स को आंशिक रूप से कम करने के लिए बाजार तरलता का फायदा उठाया है। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कई मामलों में,भारतीय सहायक कंपनियां अपनी ग्लोबल मदर कंपनियों की तुलना में प्रीमियम पर कारोबार कर रही हैं। ऐसे में उनकी कैपिटल रि-एलोकेशन की रणनीति उनके लिए फायदेमंद साबित हो रही है। गैर-रणनीतिक हिस्सेदारी बेच कर प्रोमोटर बाजार की तेजी का फायदा उठा रहे हैं। दूसरी ओर रिकॉर्ड स्तर की नकदी पर बैठे बड़े संस्थागत निवेशक और म्यूचुअल फंडों इन ब्लॉक डील्स में खूब खरीदारी की है।
