आज बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों पर खासा दबाव है। दरअसल,फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में RBI ने बैंकों और NBFCs की असेट क्वालिटी को लेकर चिंता जताई है। उसका कहना है कि अगले वित्त वर्ष में NPA थोड़े बढ़ सकते हैं। बेसलाइन केस में भी ग्रॉस NPA 4 फीसदी पर रहना संभव है। सितंबर 2024 में बैंकों का ग्रॉस NPA 2.6 फीसदी पर था। सितंबर में 51.9 फीसदी रिटेल स्लिपेज अनसिक्योर्ड लोन में आए। खासकर निजी बैंकों में रिटेल राइट-ऑफ तेजी से बढ़े हैं।
