यूएस फेड ने लिक्विडिटी घटाने का किया फैसला, जानिए आपके निवेश पर क्या होगा असर

अमेरिकी में दरों में बढ़ोतरी के चलते डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी देखने को मिल सकती है। इसलिए डॉलर में होने वाले खर्च जैसे विदेश में छुट्टियां मनना, विदेश में बच्चों की पढ़ाई महंगे हो सकते हैं।

अपडेटेड Dec 17, 2021 पर 5:25 PM
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अगर आरबीआई यूएस फेड का अनुकरण करता है तो कैलेंडर ईयर 2022 के पहली छमाही में भारत में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है जिससे आपके होम लोन दरों में बढ़ोतरी होगी।

यूएस फेड की फेडरल ओपन मार्केट कमिटी (FOMC) ने अमेरिका में बॉन्ड बाईंग स्कीम में कटौती की योजना को तेज करने का निर्णय लिया है। इसने मार्च 2022 के अंत तक फाइनेंशियल सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ाने से संबंधित क्ववांटिटेटिव ईजिंग (quantitative easing) को बंद करने का निर्णय लिया है। यूएस फेड मार्च 2022 से ब्याज दरें भी बढ़ाना शुरु कर सकता है जबकि पहले इसके जून 2022 में शुरु होने की उम्मीद थी। आइए देखते है कि यूएस फेड की तरफ से होने वाली ब्याज दरों में बढ़ोतरी से आपके अलग-अलग निवेशों पर क्या असर होगा।

विदेशी संस्थागत निवेश में हो सकती है गिरावट

यूएस फेड अपने फाइनेशिंयल सर्विसेज में धीरे-धीरे लिक्विडिटी घटाने पर काम पर कर रहा है। लिक्विडिटी की अधिकता ही पूरी दुनिया में तमाम एसेट क्लास में आई रैली की वजह से InCred Wealth के नितिन राव का कहना है कि दुनिया भर में तमाम निवेशक कर्ज लेकर इन्वेस्टमेंट करते है। ब्याज दरें बढ़ने से फंड की लागत बढ़ेगी जिसकी वजह से कुछ निवेशक बाजार से निकल सकते हैं जिससे बाजार में उतार-च़ढ़ाव देखने को मिल सकता है।


उन्होंने आगे कहा कि अगर अर्निंग ग्रोथ कायम रहती है और ब्याज दरों में बढ़ोतरी के साथ संतुलन बनाकर आगे बढ़ती है तो हो सकता है कि बाजार में एका एक बिकवाली ना आए। फिर भी निवेशकों को सर्तक रहना चाहिए और संभावित उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। बेहतर यहीं होगा कि अब इक्विटी मार्केट से मध्यम रिटर्न की ही उम्मीद करें।

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एक और जानकार का कहना है कि निवेशकों को ऐसी कम लिवरेज्ड कंपनियों पर फोकस करना चाहिए जिनको अपनी ग्रोथ के लिए कम फंडिंग की जरुरत हो। भारतीय बाजारों में भी आगे इस वजह से उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। ऐसे में निवेशकों को सावधान रहने की जरुरत है।

डेट फंडों पर भी पड़ सकता है असर

जानकारों का कहना है कि अमेरिका की तरह ही आगे भारत में भी आरबीआई अपनी दरों में बढ़ोतरी कर सकता है। इससे कई लंबी अवधि के फिक्सड इनकम वाले निवेशों पर असर पड़ सकता है। ऐसे में जानकारों की सलाह है कि निवेशकों को लंबी अवधि वाले बॉन्डों और फंडों से दूर रहने की सलाह होगी। इसके अलावा बढ़ती ब्याज दरें यूएस डॉलर को मजबूती दे सकती हैं।

अमेरिकी डॉलर में मजबूती का मतलब है कमोडिटी की कीमतों में गिरावट। इन कमोडिटी में सोना भी शामिल है लेकिन एक और बाजार जानकार का कहना है कि अगर स्टॉक मार्केट बहुत ज्यादा वोलेटाइल हो जाता है तो निवेशक निवेश के सुरक्षित विकल्प की तरफ रुख करेंगे। जिससे सोने की कीमतों में तेजी देखने को मिलेगी। अगर रुपया अमेरिकी डॉलर की तुलना में और कमजोर होता है तो भारत में सोने की कीमतों में और बढ़त हो सकती है। आगे की अनिश्चितिता को देखते हुए सोने में निवेश बनाए रखना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

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महंगे हो सकते हैं लोन

अगर ब्याज दरों में बढ़ोतरी होती है तो जल्द ही आपके लोन की री-प्राइसिंग होती दिख सकती है। पर्सनल लोन और अधिकांश डेट प्रोडक्ट की ब्याज दर फिक्सड होती है लेकिन अधिकांश होम लोन फ्लोटिंग रेट पर आधारित होते है। अगर आरबीआई यूएस फेड का अनुकरण करता है तो कैलेंडर ईयर 2022 के पहली छमाही में भारत में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है जिससे आपके होम लोन दरों में बढ़ोतरी होगी। कर्ज लेने वाले को अब बढ़ते इंटरेस्ट साइकिल रेट के लिए तैयार हो जाना चाहिए। अगर आप नया होम लोन लेने जा रहे है तो वर्तमान रिकॉर्ड निम्न दरों के आधार पर बहुत ज्यादा कर्ज ना लें।

विदेशों में छुट्टियां मनाना और पढ़ाई करना होगा महंगा

अमेरिकी में दरों में बढ़ोतरी के चलते डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी देखने को मिल सकती है। इसलिए डॉलर में होने वाले खर्च जैसे विदेश में छुट्टियां मनना, विदेश में बच्चों की पढ़ाई महंगे हो सकते हैं। ऐसी स्थितियों में अब आपको अपने पोर्टफोलियों में यूएस इक्विटीज को ट्रैक करने वाले डायवर्सिफाइड इंडेक्स फंड में अपना अलोकेशन बढ़ाना चाहिए। इससे काफी हद तक आपको फॉरेक्स जोखिम से निपटने में सहायता मिलेगी।

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