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Daily Voice : मिड और स्मॉल के वैल्यूएशन महंगे,11-13% रह सकती है वित्त वर्ष 2026 की अर्निंग ग्रोथ

Daily Voice : कोटक महिंद्रा एएमसी के नीलेश शाह को उम्मीद है कि अगली कुछ तिमाहियों में कॉरपोरेट इंडिया की आय में क्रमिक रूप से सुधार होगा। मार्केट का वैल्यूएशन ऊंचा बना हुआ है,खासकर मिड और स्मॉल कैप के लिए के भाव काफी महंगे हैं। ये अपने लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी ऊपर कारोबार कर रहे हैं

MoneyControl Newsअपडेटेड May 23, 2025 पर 10:52 AM
Daily Voice : मिड और स्मॉल के वैल्यूएशन महंगे,11-13% रह सकती है वित्त वर्ष 2026 की अर्निंग ग्रोथ
नीलेश शाह को उम्मीद है कि RBI ब्याज दरों में और कटौती करेगा। CPI महंगाई अब RBI के टारगेट दर 4 फीसदी से काफी नीचे है

भारतीय शेयर बाजार के रुख को लेकर कई लोगों का मानना ​​है कि इसका सबसे बुरा समय बीत चुका है। शॉर्ट टर्म वोलैटिलिटी कम हो गई है, इससे बाजार में स्थिरता लौटी है। लेकिन कोटक महिंद्रा एएमसी के एमडी नीलेश शाह का मानना ​​है कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड डील के अंतिम प्रभाव का आकलन करने के लिए हमें वेट एंड वॉच की रणनीति अपनाना चाहिए।

नीलेश शाह ने मनीकंट्रोल को दिए एक साक्षात्कार में कहा,"मार्केट का वैल्यूएशन ऊंचा बना हुआ है,खासकर मिड और स्मॉल कैप के लिए के भाव काफी महंगे हैं। ये अपने लॉन्ग टर्म एवरेज से काफी ऊपर कारोबार कर रहे हैं। जबकि लार्ज कैप भी थोड़े प्रीमियम पर हैं।" हालांकि रिस्क-रिवॉर्ड के नजरिए से वेलार्ज कैप को प्राथमिकता दे रहे हैं।

उन्हें उम्मीद है कि मार्च तिमाही की आय के बाद अगली कुछ तिमाहियों में कॉरपोरेट इंडिया की आय में धीरे-धीरे सुधार होगा। उन्होंने कहा कि ग्रामीण मांग में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। ब्याज दरों में कटौती की गई है। नकदी की स्थिति में सुधार हुआ है और तेल की कीमतें कम हुई हैं। इसका आगे इकोनॉमी और कंपनियों की कमाई पर अच्छा असर देखने को मिलेगा। इसके अलावा उन्हें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 की सुस्ती के बाद, वित्त वर्ष 2026 में निफ्टी की अर्निंग्स में 11-13 फीसदी की बढ़त होगी।

बाजार की चाल का सही अनुमान लगाना मुश्किल है। बाजार की चाल निवेश की गति,वैल्यूएशन और सेंटीमेंट पर निर्भर करेगी। ग्लोबल और घरेलू कारणों की वजह से इक्विटी बाजार वोलेटाइल रहे हैं। ग्लोबल फ्रंट पर,टैरिफ संबंधी अनिश्चितता से थोड़े समय के लिए राहत मिली है। अब हमें इसके अंतिम प्रभाव का अंदाजा लगाने के लिए अमेरिका के साथ तमाम देशों के ट्रेड डील की अंतिम रूपरेखा का इंतजार करना होगा।

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