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Vedanta Q2 Results: सितंबर तिमाही में 59% गिरा मुनाफा, रेवेन्यू बढ़ने के बावजूद लगा झटका, झुलस गए शेयर

Vedanta Q2 Results: चालू वित्त वर्ष 2026 की दूसरी तिमाही अनिल अग्रवाल की माइनिंग कंपनी वेदांता के लिए बड़ा झटका रही जिसकी गूंज आज स्टॉक मार्केट में भी सुनाई दी। सितंबर तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 5% बढ़ा तो लेकिन इस दौरान कंपनी का मुनाफा करीब 59% गिर गया। चेक करें कंपनी के कारोबारी नतीजे की खास बातें

Edited By: Jeevan Deep Vishawakarmaअपडेटेड Oct 31, 2025 पर 4:06 PM
Vedanta Q2 Results: सितंबर तिमाही में 59% गिरा मुनाफा, रेवेन्यू बढ़ने के बावजूद लगा झटका, झुलस गए शेयर
Vedanta Q2 Results: सितंबर तिमाही में अनिल अग्रवाल की दिग्गज माइनिंग कंपनी का मुनाफा करीब 59% गिर गया तो इसके शेयर धड़ाम हो गए। सितंबर तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 5% बढ़ने के बावजूद मुनाफे को करारा शॉक लगा।

Vedanta Q2 Results: आज कारोबारी नतीजे आने से पहले ही शुरुआती तेजी के बाद उठा-पटक वाले मार्केट में वेदांता के शेयर भी रेड जोन में आ गए। हालांकि जैसे ही सामने आया कि सितंबर तिमाही में अनिल अग्रवाल की दिग्गज माइनिंग कंपनी का मुनाफा करीब 59% गिर गया तो इसके शेयर धड़ाम हो गए। सितंबर तिमाही में कंपनी का रेवेन्यू 5% बढ़ने के बावजूद मुनाफे को करारा शॉक लगा। इसके चलते शेयर इंट्रा-डे में 3.13% टूटकर ₹491.05 पर आ गए। निचले स्तर पर खरीदारी के बावजूद शेयर संभल नहीं पाए और दिन के आखिरी में यह 2.62% की गिरावट के साथ ₹493.60 (Vedanta Share Price) पर बंद हुआ है।

Vedanta Q2 Results: खास बातें

चालू वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर 2025 में वेदांता का कंसालिडेटेड नेट प्रॉफिट सालाना आधार पर 37.91% गिरकर ₹3,479 करोड़ पर आ गया। हालांकि इसमें नॉन-कंट्रोलिंग इंटेरेस्ट्स की बड़ी हिस्सेदारी और इसके ₹1681 करोड़ को निकालकर बात करें तो सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर कंपनी का शुद्ध मुनाफा (वेदांता के ओनर्स के लिए एट्रिब्यूटेबल) 58.69% गिरकर ₹1,798 करोड़ पर आ गया। पिछले साल की समान तिमाही में नेट प्रॉफिट में नॉन-कंट्रोलिंग इंटेरेस्ट ₹1,251 करोड़ था। हालांकि ध्यान दें कि मुनाफे में यह गिरावट सितंबर तिमाही में ₹2,067 करोड़ के वन-टाइम कॉस्ट के चलते आई जबकि पिछले साल की समान तिमाही में कंपनी को ₹1868 करोड़ का एक्सपेश्नल गेन हुआ था। वहीं नॉन-कंट्रोलिंग इंटेरेस्ट का मतलब सब्सिडिरी कंपनी के इक्विटी की वह हिस्सा है जिस पर पैरेंट कंपनी का मालिकाना हक नहीं है।

अब ऑपरेशनल रेवेन्यू की बात करें तो सितंबर तिमाही में सालाना आधार पर यह 5.94% उछलकर ₹39,868 करोड़ पर पहुंच गया। ऑपरेटिंग प्रॉफिट की बात करें तो यह करीब 16% बढ़कर ₹9918 करोड़ से ₹11,397 करोड़ पर पहुंच गया और ऑपरेटिंग मार्जिन भी 26.1% से सुधरकर 28.6% पर पहुंच गया।

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