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डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का शेयर बाजार पर क्या पड़ेगा असर? दिख रहीं ये 5 मुश्किलें

भारत पर डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का पहला असर रुपये की वैल्यू पर देखने को मिल सकता है। ट्रंप की जीत से एक्सपर्ट्स डॉलर के मजबूती होने का अनुमान जता रहे हैं, जो भारतीय रुपया के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। डॉलर मजबूत होगा, तो भारतीय रुपया कमजोर हो सकता है। इससे हमारे लिए विदेशों से आयात महंगे हो सकते हैं, खासकर क्रूड ऑयल जैसी जरूरी चीजों का खर्च बढ़ सकता है

Moneycontrol Newsअपडेटेड Nov 14, 2024 पर 6:27 PM
डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों का शेयर बाजार पर क्या पड़ेगा असर? दिख रहीं ये 5 मुश्किलें
Donald Trump के सत्ता में आने से ग्लोबल बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है

डोनाल्ड ट्रंप इस बार पहले से भी अधिक ताकतवर बनकर अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। ट्रंप का चुनावी अभियान काफी अलग और तीखा होता है। वो अपनी पॉलिसी “अमेरिका फर्स्ट” को हमेशा आगे रखते हैं। उनका नारा है मेक अमेरिका ग्रेट अगेन। यानी अमेरिका को एक बार फिर से महान बनाएं। यह पॉलिसी अमेरिकी कंपनियों और वहां के उद्योगों को बढ़ावा देने पर फोकस करती है। इसके लिए वो दूसरे देशों से आने वाले प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने के लिए भी तैयार हैं। इसका असर चीन और भारत सहित तमाम देशों के व्यापार पर पड़ सकता है।

डॉलर और रुपये की ताकत में बदलाव

भारत पर उनकी नीतियों का पहला असर रुपये की वैल्यू पर देखने को मिल सकता है। ट्रंप की जीत से एक्सपर्ट्स डॉलर के मजबूती होने का अनुमान जता रहे हैं, जो भारतीय रुपया के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। डॉलर मजबूत होगा, तो भारतीय रुपया कमजोर हो सकता है। इससे हमारे लिए विदेशों से आयात महंगे हो सकते हैं, खासकर क्रूड ऑयल जैसी जरूरी चीजों का खर्च बढ़ सकता है। लेकिन, इसका एक दूसरा पक्ष यह है कि IT और फार्मा जैसे एक्सपोर्ट करने वाले सेक्टर को इससे फायदा हो सकता है, क्योंकि वे अपने प्रोडक्ट विदेशों में बेचते हैं। उन्हें डॉलर में अधिक वैल्यू मिलेगी।

भारतीय IT और फार्मा पर असर

अब बात करते हैं भारत के IT और फार्मा सेक्टर की। ट्रंप प्रशासन ने अपने पहले कार्यकाल में भी अमेरिका में नौकरियों को प्राथमिकता दी थी। इस बार भी उन्होंने अपने चुनावी अभियान के दौरान अमेरिकी कंपनियों में अधिक से अधिक स्थानीय नौकरियां बढ़ाने की बात कही है। इसके चलते अमेरिका की वर्क वीजा पॉलिसी सख्त होने की उम्मीद और इसका भारतीय IT कंपनियों पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।

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