पहली सिंचाई का सही समय
गेहूं की फसल में सिंचाई का बड़ा योगदान होता है। किसानों को सलाह दी जाती है कि वे पहली सिंचाई बुआई के 21 से 25 दिनों के भीतर करें। इस समय पर सिंचाई करने से पौधों में कल्ले तेजी से निकलते हैं। सिंचाई करते समय खेत में पानी जमा न होने दें। अगर पानी ज्यादा हो जाए, तो तुरंत जल निकासी की व्यवस्था करें, ताकि फसल को नुकसान न पहुंचे।(image source: social media)
पौधों के पोषण का महत्व
पौधों की अच्छी बढ़वार के लिए पोषक तत्व जरूरी होते हैं। पहली सिंचाई के 5-6 दिन बाद, जब खेत में नमी हो और चलने लायक हो, तब यूरिया का छिड़काव करें। 1 एकड़ खेत के लिए 40-50 किलो यूरिया पर्याप्त है। नाइट्रोजन से पौधे हरे-भरे होते हैं और कल्ले तेजी से बढ़ते हैं।(image source: social media)
ऑर्गेनिक खाद का उपयोग
यूरिया के साथ किसान ऑर्गेनिक खाद, जैसे ब्लूम विस्टा, का भी उपयोग कर सकते हैं। एक एकड़ फसल के लिए 250 मिलीलीटर ब्लूम विस्टा को यूरिया के साथ मिलाकर छिड़काव करें। इस खाद में कई जरूरी पोषक तत्व होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं। ब्लूम विस्टा पौधों की तेज बढ़वार और ज्यादा कल्ले उत्पन्न करने में मदद करता है।(image source: social media)
मिट्टी के पोषक तत्वों
ब्लूम विस्टा के इस्तेमाल से न केवल नए पोषक तत्व पौधों को मिलते हैं, बल्कि यह मिट्टी में पहले से मौजूद पोषक तत्वों को भी सक्रिय करता है। इसके उपयोग के 5 दिनों के भीतर फसल में बेहतर परिणाम देखने को मिलते हैं। पौधे तेजी से बढ़ते हैं और फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।(image source: social media)
जल निकासी की प्रक्रिया
अगर सिंचाई के दौरान खेत में पानी अधिक मात्रा में इकट्ठा हो जाए, तो इसे तुरंत बाहर निकालें। जलभराव से फसल की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है, जिससे पौधों का विकास रुक जाता है। जल निकासी की सही व्यवस्था करना फसल को स्वस्थ बनाए रखने के लिए जरूरी है।(image source: social media)
पौधों की हरी-भरी स्थिति
यूरिया में मौजूद नाइट्रोजन पौधों को हरा-भरा बनाने में मदद करती है। यह पौधों के विकास को बढ़ावा देती है और खेत में कल्लों की संख्या को बढ़ाती है। नियमित खाद और सिंचाई से पौधों में मजबूती आती है, जो बेहतर उपज सुनिश्चित करती है।(image source: social media)
ब्लूम विस्टा का लाभ
ब्लूम विस्टा के पोषक तत्व मिट्टी में मौजूद माइक्रोब्स को सक्रिय करते हैं, जिससे पौधों को पोषण मिलता है। यह पौधों की जड़ों को मजबूत करता है और मिट्टी की उर्वरता को लंबे समय तक बनाए रखता है। इसका असर फसल की गुणवत्ता और उत्पादन पर अच्छा असर डालता है।(image source: social media)
स्वस्थ और उपजाऊ फसल का नतीजा
समय पर सिंचाई, नाइट्रोजन और ऑर्गेनिक खाद का इस्तेमाल गेहूं की फसल को स्वस्थ बनाता है। सही देखभाल से पौधों में कल्लों की संख्या बढ़ती है, जिससे खेत उपजाऊ होता है। इन सभी उपायों से किसान बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं और फसल की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं।(image source: social media)