महाराजा भूपिंदर सिंह का जन्म पटियाला के मोती बाग पैलेस में हुआ था। उन्होंने लाहौर के एचिसन कॉलेज से शिक्षा ली और 9 साल की उम्र में अपने पिता के उत्तराधिकारी बने। उनके शासनकाल में पटियाला समृद्ध हुआ, जहां 1914 तक नहरें, ट्रेनों, डाकघर, 262 स्कूल, 40 अस्पताल और 9 मिलियन रुपये का राजस्व था। (image source: social media)
महाराजा भूपिंदर सिंह की शादी की कहानी भी अत्यधिक चर्चित रही। उनके पास 365 रानियां थीं, जिनका चुनाव एक अनोखे तरीके से किया जाता था। महाराजा उन महिलाओं के नाम की लालटेन जलाते थे, और जो सबसे पहले बुझती, उन्हें रात बिताने के लिए चुना जाता। (image source: social media)
महाराजा के जीवन में परिवार का भी अहम स्थान था। वो 88 बच्चों के पिता थे, जिनमें से 52 वयस्क होने तक जीवित रहे। उनकी पत्नियों और उनके बच्चों की संख्या इतनी अधिक थी कि यह पूरी दुनिया में चर्चित हो गया। उनकी असामान्य जीवनशैली और अय्याशी को लेकर कई किताबें भी लिखी गईं। (image source: social media)
महाराजा भूपिंदर सिंह के पास प्राइवेट प्लेन था, और उनका कार कलेक्शन भी शानदार था। पटियाला के महाराजा के पास 44 रोल्स रॉयस कारें थीं, और वे विश्व प्रसिद्ध पटियाला हार के मालिक थे, जिसमें 1001 नीले और सफेद हीरे थे। वे अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए इस हार को साल में एक बार अपने दरबार के सामने पहनते थे। (image source: social media)
खेलों के प्रति भी महाराजा का प्यार था, विशेष रूप से क्रिकेट और पोलो में। 1911 में उन्होंने इंग्लैंड दौरे पर भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की, और 1915 से 1937 के बीच कई प्रथम श्रेणी क्रिकेट मैच खेले। उन्हें प्रतिष्ठित मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब का सदस्य भी बनाया गया। उन्होंने अपनी ‘पटियाला टाइगर्स’ क्रिकेट टीम के लिए भारत में सबसे ऊंची क्रिकेट पिच बनाई थी। (image source: instagram)
महाराजा भूपिंदर सिंह खाने के शौकिन भी थे। कहा जाता था कि वे एक बार में 40 से 50 बोनलेस बटेर खा सकते थे, और उनका सूप भी 24 स्निप्स से बना होता था। 1927 में टाइम्स ने रिपोर्ट किया था कि वे 40 नौकरों के साथ पेरिस में थे, और उनके साथ 20 नर्तकियां तथा हीरे और मोतियों से भरे बक्से थे। (image source: social media)
महाराजा के समय में वे शानदार पार्टियों की मेज़बानी करते थे, जिसमें दुनिया भर के गणमान्य व्यक्तियों को बुलाया जाता था। इन पार्टियों में उन्होंने व्हिस्की का एक ऐसा पैग तैयार किया था, जो आजकल ‘पटियाला पैग’ के नाम से प्रसिद्ध है। यह पैग उनकी अनूठी जीवनशैली और स्वाद का प्रतीक बन गया।(image source: social media)
महाराजा भूपिंदर सिंह का जीवन वास्तव में अत्यधिक विलासिता और अय्याशी से भरा हुआ था। उनके द्वारा किए गए कार्य और उनकी जीवनशैली आज भी लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। (image source: social media)