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Mahakumbh 2025: प्रयागराज के संगम तट पर भगदड़, दर्दनाक हादसे का भयावह मंजर तस्वीरों में देखिए

Mahakumbh 2025: प्रयागराज के संगम तट पर आधी रात भगदड़ मचने से 14 लोगों की मौत और 50 से अधिक घायल हो गए। शवों से लिपटे परिजन बिलखते रहे। प्रशासन ने अब तक मृतकों की आधिकारिक संख्या नहीं बताई। अव्यवस्था के कारण रेस्क्यू में दिक्कत हुई। हादसे के बाद अखाड़ों ने संगम स्नान टाल दिया

अपडेटेड Jan 29, 2025 पर 12:24
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आधी रात के बाद मची भगदड़ प्रयागराज के संगम तट पर मंगलवार और बुधवार की रात करीब 1:30 बजे अचानक भगदड़ मच गई। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के बीच एक हलचल शुरू हुई, जिसने कुछ ही पलों में अफरा-तफरी का रूप ले लिया। देखते ही देखते सैकड़ों लोग इधर-उधर भागने लगे, कई लोग जमीन पर गिर गए, और कुछ लोग भीड़ में दब गए।

मौत और घायल होने वालों का आधिकारिक आंकड़ा
प्रशासन की ओर से अभी तक मृतकों और घायलों की आधिकारिक संख्या नहीं बताई गई है, लेकिन घटनास्थल और अस्पतालों से मिल रही रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए गए हैं। करीब 50 लोग घायल बताए जा रहे हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर है।

भगदड़ के बाद का भयावह दृश्य
हादसे के बाद का दृश्य दिल दहला देने वाला था। हर तरफ बिखरे हुए कपड़े, जूते-चप्पल, और श्रद्धालुओं का सामान पड़ा था। सड़क पर जगह-जगह घायलों के शरीर दिखाई दे रहे थे, कुछ बेहोश पड़े थे तो कुछ दर्द से कराह रहे थे। शवों के पास खड़े उनके परिजन बिलख-बिलख कर रो रहे थे, तो कुछ लोग अपने अपनों को ढूंढने की कोशिश कर रहे थे।

शवों से लिपटकर रोते परिजन
कुछ परिजन अपने प्रियजनों के शवों को पकड़कर बैठ गए। उन्हें डर था कि कहीं उनके अपनों की बॉडी खो न जाए। जब रेस्क्यू टीम शवों को ले जाने लगी तो कई परिजन दौड़कर उन्हें रोकने लगे, उनके हाथ पकड़कर रोने लगे। कुछ तो स्ट्रेचर पर रखी लाश का हाथ पकड़कर साथ दौड़ पड़े, जैसे उन्हें छोड़ना ही नहीं चाहते थे।

शवों के बीच अपनों की तलाश
घटनास्थल पर कई लोगों को अपनों की तलाश में रोते-बिलखते देखा गया। भगदड़ के बाद कोई अपनी बहन को खोज रहा था, कोई अपनी मां को, तो कोई अपने पिता को। चारों ओर सिर्फ दर्द, आंसू और चीख-पुकार सुनाई दे रही थी।

प्रशासन की लचर व्यवस्था
इस भयानक हादसे के बावजूद प्रशासन की ओर से तुरंत कोई स्पष्ट बयान नहीं आया। मृतकों की संख्या को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई, जिससे पीड़ित परिवारों में और ज्यादा गुस्सा और बेचैनी बढ़ गई। राहत और बचाव कार्यों में भी देरी देखने को मिली, जिससे घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने में दिक्कत हुई।

सेना और पुलिस की तैनाती
हादसे के बाद सेना और पुलिस की टीमें तुरंत मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। जवानों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन भीड़ और अव्यवस्था के कारण काफी परेशानी हुई। स्ट्रेचर और एंबुलेंस की व्यवस्था सीमित थी, जिससे शवों और घायलों को घटनास्थल से हटाने में देरी हुई।

अपनों को खो चुके लोगों की बेबसी
कुछ परिजन अस्पताल के बाहर रोते-बिलखते खड़े थे, जिनके अपने अब इस दुनिया में नहीं रहे। कोई हाथ जोड़कर रो रहा था, तो कोई चुपचाप शवों को निहार रहा था। उनके चेहरे पर दर्द और असहायता साफ झलक रही थी।

भगदड़ के पीछे की वजह क्या थी?
अभी तक भगदड़ के पीछे की असली वजह का खुलासा नहीं हुआ है। कुछ लोगों का कहना है कि भीड़ अचानक अनियंत्रित हो गई, जबकि कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि किसी अफवाह के चलते भगदड़ मची। कुछ श्रद्धालु पुल से कूदकर अपनी जान बचाने की कोशिश करते नजर आए।

भगदड़ के कारण मेले में अफरा-तफरी
हादसे के बाद संगम क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे, कई लोग जालियां तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। भीड़ के कारण कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ हुई, और कुछ लोग एक-दूसरे के ऊपर गिर पड़े।

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साधु-संत भी लौटने को मजबूर
इस हादसे का असर संगम स्नान पर भी पड़ा। कई साधु-संत जो मौनी अमावस्या के स्नान के लिए आए थे, बिना डुबकी लगाए ही वापस लौट गए। पंचायती अखाड़े के संतों ने संगम तट पर जाने से इनकार कर दिया और अपने शिविरों की ओर लौट गए।

अस्पताल में दर्दनाक नजारा
स्वरूपरानी अस्पताल में 14 शव लाए गए। अस्पताल के एक कोने में शवों को जमीन पर रखा गया था।  हर शव के पास कोई न कोई परिजन खड़ा था, जो अपने आंसू रोकने की कोशिश कर रहा था।

हादसे के बाद मेला प्रशासन पर सवाल
इस हादसे के बाद प्रयागराज महाकुंभ के प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इतनी बड़ी भीड़ के प्रबंधन के लिए क्या पुख्ता इंतजाम थे? क्या सुरक्षा व्यवस्था में चूक हुई? प्रशासन के पास इन सवालों का कोई जवाब नहीं था।

हादसे से बचने के लिए क्या किया जाना चाहिए था?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह की भगदड़ को रोकने के लिए भीड़ नियंत्रण के सख्त नियम लागू करने चाहिए थे। पुलिस और प्रशासन को बड़े आयोजनों में भीड़ की सीमा तय करनी चाहिए ताकि इस तरह की अनहोनी से बचा जा सके।

आगे की कार्रवाई क्या होगी?
हादसे के बाद प्रशासन ने जांच के आदेश दे दिए हैं। घटना की वजह जानने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित की गई है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या इस जांच से कुछ बदलेगा, या फिर हर बार की तरह यह भी एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी?