Get App

Chhath Puja 2024: छठ पूजा में क्यों होता है बांस की डाली का विशेष महत्व, ज्योतिषाचार्य से जानें पूजा में किन चीजों का करें इस्तेमाल

महापर्व छठ की शुरुआत हो चुकी है। छठ पूजा का पर्व भारत भर में खास कर बिहार और यूपी में बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस पर्व में बास की डाली का विशेष महत्व होता है। पूजा की सारी चीजें बांस की डाली में ही रखी जाती हैं। साथ ही कई दूसरी चीजें भी बहुत ही सावधानी से प्रयुक्त की जाती है। ऐसे में आज हम ज्योतिषाचार्य से जानते है कि इस पर्व में बांस की डाली का इतना महत्व क्यों है

अपडेटेड Nov 06, 2024 पर 15:38
Story continues below Advertisement
छठ महापर्व की शुरुआत इस बार 5 नवंबर से हो गई है। ये पर्व हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार, जिसे पूरे देश भर में बहुत ही श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। खास कर बिहार और यूपी में इसको लेकर काफी उत्साह देखने को मिलती है। (Image- PTI)

छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है और चार दिनों तक चलती है। पंडित नंदकिशोर बताते हैं कि इस दौरान व्रती महिलाएं और पुरुष कठिन उपवास रखते हैं और केवल प्रसाद का सेवन करते हैं। व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास भी रखती हैं। पर्व के तीसरे दिन ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ पर्व का समापन होता है। (Image- PTI)

देवघर के ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुदगल बताते हैं कि इस पर्व में बांस की बनी डाली का खास महत्व होता है। इस डाली में पूजा की सारी चीजें बहुत ही सावधानी के साथ रखी जाती है, जिसे छठ के दिन व्रती घाट पर लेकर जाती हैं। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऐसा करने से मां बहुत ही प्रसन्न होती हैं जिससे घर में सुख और शांति आती है। (Image- PTI)

पंडित नंदकिशोर मुदगल बताते हैं कि बांस की बनी डाली में कुछ विशेष सामग्रियों का होना बहुत ही जरूरी होता है। बीना इन चीजों के ये पर्व पूरा नहीं माना जाता। ये सामग्रियाँ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं बल्कि इनमें स्वास्थ्य और समृद्धि के लाभ भी निहित होते हैं। (Image- PTI)

छठ पर्व को प्रकृति से जुड़ा पर्व भी माना जाता है। यही वजह है कि इस पर्व में जो चीजें इस्तेमाल की जाती हैं वह प्राकृतिक और शुद्ध होती हैं। फल और प्रसाद को विशेष रूप से रखा जाता है, जिन्हें अर्घ्य देने के लिए छठ घाट तक ले जाया जाता है। इस यात्रा को पवित्र माना जाता है और भक्त अपने कांधों पर या सिर पर डाली को ले जाकर छठी मईया के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं। (Image- PTI)

इस पर्व में ज्यादातर चीजें शुद्ध और प्राकृतिक होती हैं। जिनमें नारियल की मान्यता खासकर सबसे अधिक होती है। इसके साथ ही पानीफल,हल्दी की गांठ,केला, मखाना,अदरक की जड़ आदी चीजें पूजा में शामिल की जाती हैं। (Image- PTI)

इस पर्व में ठेकुवा का भी विशेष महत्व होता है। इस त्योहार को लेकर ऐसी मान्यता है कि बीना ठेकुवा के ये त्योहार पूरा नहीं माना जाता है। इस त्योहार में सिंदूर और लाल कपड़ा का भी विशेष महत्व है। पंडित नंदकिशो बताते हैं कि लाल कपड़ा और सिंदूर छठ मां को विशेष रूप से पसंद है। अगर आप मां को सिंदूर और लाल कपड़ा अर्पित करते हैं तो मां की विशेष कृपा आप पर होगी। (Image- PTI)