China's Property Sector News: प्रॉपर्टी सेक्टर की मंदी ने चीन की इकॉनमी को तगड़ा झटका दिया है। इससे उबरने के लिए चीन ने काफी कदम उठाए हैं लेकिन अभी भी यह पूरी तरह उबर नहीं पाया है। स्टैंडर्ड चार्टर्ड के सीईओ बिल विंटर्स का मानना है कि पिछले साल चीन के प्रॉपर्टी सेक्टर में काफी उठा-पटक दिखी लेकिन अब भी यह निचले स्तर पर नहीं आया है। इसका मतलब है कि स्टैंडर्ड चार्टर्ड के सीईओ के मुताबिक चीन के प्रॉपर्टी मार्केट में अभी और गिरावट आ सकती है। सीएनबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा कि चीन में निवेश का माहौल बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि कंज्यूमर का भरोसा और विदेशी निवेशकों का भरोसा काफी कम है।
इकॉनमी में तेजी लाने के लिए चीन ने कई कदम उठाए हैं। इसके तहत चीन ने ब्याज सस्ता किया है और हाल ही में चीन ने होमबायर्स को अपने होम लोन को रीफाइनेंस की मंजूरी दी ताकि खर्च के लिए उनके पास पैसे उपलब्ध हो सके।
प्रॉपर्टी सेक्टर का बुलबुला फटने में क्या है रिस्क?
बिल विंटर्स का कहना है कि समय-समय पर गतिविधियों में बढ़ोतरी के कुछ संकेत जरूर मिले लेकिन उसी समय ऐसा भी लगा कि कीमत के हिसाब से अभी यह निचले स्तर पर नहीं आया है। प्रॉपर्टी मार्केट का बुलबुला फटने के खतरे को लेकर उन्होंने बताया कि इससे वित्तीय संकट आ सकता है और यह जीडीपी में बड़ी गिरावट के रूप में दिख सकती है। चीन ने जून तिमाही में सालाना आधार पर 4.7% की वृद्धि दर्ज की, जो पहले तिमाही में 5.3% से कम है और पहली तिमाही 2023 के बाद से सबसे कम है। पिछले हफ्ते बैंक ऑफ अमेरिका ने चीन के लिए 2024 के लिए अपने जीडीपी ग्रोथ के पूर्वानुमान को 5% से घटाकर 4.8% कर दिया, और 2025 और 2026 के लिए भी अपने पूर्वानुमान को घटाकर 4.5% कर दिया, जोकि पहले 4.7% था।
बड़े राहत पैकेज क्यों ला रहा चीन?
कई देशों ने कोविड के बाद अपनी इकॉनमी में तेजी लाने के लिए बड़े पैमाने पर राहत पैकेज जारी किए थे लेकिन चीन ने ऐसा नहीं किया। स्टैंडर्ड चार्टर्ड के सीईओ बिल विंटर्स के मुताबिक इसकी वजह ये है कि चीन ने देखा कि कोविड की पहली लहर के दौरान कई देशों ने ऐसा किया जिससे उनकी इकॉनमी पर अधिक कर्ज बोझ पड़ा। ऐसे में चीन लगातार छोटे-छोटे राहत पैकेज, मौद्रिक और राजकोषीय नीति अपना रही है जिससे यह सुनिश्चित होगा कि ऐसी बुरी स्थिति में न फंस जाएं जिससे उबरना कठिन हो। हालांकि उनका यह भी कहना है कि प्रोत्साहन पर्याप्त तो होगा, लेकिन अत्यधिक नहीं। ऐसे में उनका मानना है कि इससे शॉर्ट टर्म में थोड़ी दिक्कत तो होगी, लेकिन राजकोषीय रूप से यह अच्छा ही होगा।