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Fed Fund Rates: इस साल ब्याज दरों में दो बार कटौती कर सकता है फेडरल रिजर्व, लेकिन सितंबर से ही मिल सकता है तोहफा

Federal Reserve Rate Cut: फेड अधिकारियों ने मोटे तौर पर कहा है कि यह जानना बहुत जल्दबाजी होगी कि ट्रंप की नीतियां ब्याज दर पर उनके फैसलों को कैसे प्रभावित कर सकती हैं। अनुमान है कि फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल और साथी पॉलिसीमेकर अगले सप्ताह की मीटिंग में बेंचमार्क ब्याज दर को 4.25% से 4.5% की सीमा में जस का तस छोड़ेंगे

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Mar 14, 2025 पर 9:11 PM
Fed Fund Rates: इस साल ब्याज दरों में दो बार कटौती कर सकता है फेडरल रिजर्व, लेकिन सितंबर से ही मिल सकता है तोहफा
फेडरल रिजर्व की अगली मीटिंग अगले सप्ताह होने वाली है।

अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व (Federal Reserve) इस साल ब्याज दरों में दो बार कटौती कर सकता है। इसकी शुरुआत सितंबर से होगी। लेकिन इससे पहले, वर्ष की पहली छमाही में फेड ब्याज दरों को स्थिर रखेगा। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फेड अधिकारियों ने संकेत दिया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आर्थिक नीतियों, विशेष रूप से ट्रेड पर अनिश्चितता के कारण वे कुछ समय के लिए ब्याज दरों को होल्ड कर सकते हैं। सर्वे से पता चला है कि ट्रंप की नीतियों के चलते अधिकांश अर्थशास्त्रियों ने ग्रोथ के लिए अपने पूर्वानुमानों को कम कर दिया है। वहीं महंगाई के लिए अपने अनुमानों को बढ़ाया है।

ट्रंप ने चीन, कनाडा और मैक्सिको सहित अमेरिका के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदारों पर नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है या फिर टैरिफ को लागू कर दिया है। हालांकि वह अपनी योजनाओं की बारीकियों पर डिटेल शेयर करने से अक्सर झिझकते रहे हैं। अनिश्चितता ने वित्तीय बाजारों को हिला दिया है, और इस चिंता को बढ़ा दिया है कि महंगाई के उच्च स्तर पर बने रहने के दौरान अमेरिका को धीमी आर्थिक वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। इस स्थिति को अर्थशास्त्री स्टैगफ्लेशन कहते हैं।

फेड अभी बहुत मुश्किल स्थिति में

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, बीएमओ कैपिटल मार्केट्स के चीफ यूएस इकोनॉमिस्ट स्कॉट एंडरसन का कहना है, "फेड अभी बहुत मुश्किल स्थिति में है, वह स्टैगफ्लेशनरी आउटलुक का सामना कर रहा है। कोर महंगाई अपने मीडियम टर्म टारगेट से काफी ऊपर बनी हुई है। भविष्य के टैरिफ के मैग्नीट्यूड, अवधि और लक्ष्यों के बारे में अनिश्चितता मॉनेटरी पॉलिसी आउटलुक को और जटिल बनाती है। इनमें मौद्रिक नीति पर अपेक्षाओं के साथ-साथ वित्तीय बाजारों को भी हिला देने की क्षमता है।” 7-12 मार्च को किए गए सर्वे के अनुसार, अधिकांश रिस्पॉन्डेंट्स ने महंगाई और बेरोजगारी के जोखिमों में बढ़ोतरी होने का अनुमान जताया है।

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