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सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला करने वाला दोषी करार, जानें कौन है हादी मतार, जिसे 30 साल की हो सकती है सजा

Salman Rushdie attempted murder case: अगस्त 2022 में हुए हमले में मशहूर ब्रिटिश-भारतीय लेखक सलमान रुश्दी को गंभीर चोटें आई थीं। उनके लीवर को नुकसान पहुंचा था। कोर्ट ने हमले की जगह के पास पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य के चौटाउक्वा काउंटी कोर्ट में दो सप्ताह की सुनवाई के बाद मतार को दोषी करार दिया। मतार की सजा की तारीख 23 अप्रैल तय की गई है

Akhileshअपडेटेड Feb 23, 2025 पर 5:04 PM
सलमान रुश्दी पर चाकू से हमला करने वाला दोषी करार, जानें कौन है हादी मतार, जिसे 30 साल की हो सकती है सजा
Salman Rushdie attempted murder case: 77 वर्षीय सलमान रुश्दी ने कहा कि हमलावर की आंखें देखकर वह दंग रह गए

Salman Rushdie attempted murder case: भारतीय मूल के मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर अमेरिका में 2022 में चाकू से जानलेवा हमला करने वाले हमलावार हादी मतार को न्यूयॉर्क की एक अदालत ने हत्या की कोशिश और हमले का दोषी माना है। चॉटौक्वा काउंटी कोर्ट में मुकदमे के बाद दो घंटे से भी कम समय के विचार-विमर्श के बाद जूरी ने 27 वर्षीय हादी मतार को दोषी पाया। न्यूयॉर्क में एक संबोधन के दौरान मशहूर ब्रिटिश-भारतीय लेखक सलमान रुश्दी पर कई बार चाकू से हमला करने वाले शख्स को हत्या के प्रयास और हमले का दोषी ठहराया गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 27 वर्षीय हादी मतार को अब 30 वर्ष से अधिक जेल की सजा का सामना करना पड़ सकता है।

अगस्त 2022 में हुए हमले में रुश्दी को गंभीर चोटें आई थीं। उनके लीवर को नुकसान पहुंचा था। जूरी ने हमले की जगह के पास पश्चिमी न्यूयॉर्क राज्य के चौटाउक्वा काउंटी कोर्ट में दो सप्ताह की सुनवाई के बाद मतार को दोषी करार दिया। मतार की सजा की तारीख 23 अप्रैल तय की गई है। 77 वर्षीय रुश्दी ने गवाही दी कि वह ऐतिहासिक चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में मंच पर थे, जब उन्होंने एक व्यक्ति को अपनी ओर भागते हुए देखा।

घटना को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमलावर की आंखें देखकर वह दंग रह गए। उन्होंने कहा, "वह काली थीं और बहुत क्रूर लग रही थीं।" पहले तो उन्हंने सोचा कि उसे मुक्का मारा गया है, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि उन्हें चाकू मारा गया है। वह भी कुल 15 बार... और उनकी आंख, गाल, गर्दन, छाती, धड़ और जांघ पर घाव हुए थे। यह हमला रुश्दी के विवादास्पद उपन्यास 'द सैटेनिक वर्सेज' के पहली बार प्रकाशित होने के 35 साल से भी ज्यादा समय बाद हुआ था।

पैगंबर मुहम्मद के जीवन से प्रेरित इस उपन्यास ने कुछ मुसलमानों में आक्रोश पैदा कर दिया था। उन्होंने इसके कंटेंट को ईशनिंदा वाला माना था। 1988 में प्रकाशित होने के बाद इस किताब पर कुछ देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया था। रुश्दी को अनगिनत मौत की धमकियों का सामना करना पड़ा।

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