
Financial Planning: कई लोग मानते हैं कि पैसों के मामले में वह सब जानते हैं। बस थोड़ा पैसा बचाओ, निवेश करो और बस हो गया। लेकिन असलियत में कुछ पुराने फाइनेंशियल गुर आज के दौर में खतरनाक जाल बन सकते हैं। हेल्थ इंश्योरेंस की उम्र, रिटायरमेंट के बाद निवेश की दिशा या फिर एक ही इनकम पर निर्भर रहना। ऐसे कई मिथक हैं जो चुपचाप आपकी जेब पर भारी पड़ सकते हैं। यहां हम उन 10 बड़े फाइनेंशियल भ्रमों के बारे में बता रहे हैं, जो आप समय रहते समझ जाए तो पैसों के मामले में आपकी सेहत बेस्ट रह सकती है।
1. युवा लोगों को हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत नहीं होती
कई लोग मानते हैं कि इंश्योरेंस केवल बुजुर्गों के लिए है, लेकिन 20-30 की उम्र में भी अचानक दुर्घटना या इंश्योरेंसरी आ सकती है। आजकल लाइफस्टाइल के कारण डायबिटीज और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां युवाओं में भी बढ़ रही हैं। जल्दी इंश्योरेंस लेने से प्री-एक्जिस्टिंग बीमारियों का वेटिंग पीरियड भी जल्दी खत्म होता है और कम प्रीमियम पर बेहतर कवरेज मिलता है।
2. रिटायरमेंट के बाद इक्विटी में निवेश नहीं करना चाहिए
रिटायरमेंट के बाद ज्यादातर लोग सुरक्षित निवेश चुनते हैं, लेकिन पूरी तरह इक्विटी से दूरी बनाना भी गलत है। आजकल लोग लंबा जी रहे हैं, ऐसे में सेविंग को महंगाई के अनुसार बढ़ाने के लिए थोड़ी इक्विटी में निवेश जरूरी है। लंबे समय के लिए रखी गई रकम में इक्विटी अच्छा रिटर्न दे सकती है।
3. टैक्स न देने पर रिटर्न भरने की जरूरत नहीं
अगर टैक्स देय नहीं है, तो भी कई मामलों में रिटर्न फाइल करना जरूरी है। यह रिफंड पाने, पिछले नुकसान को आगे ले जाने या कुछ खास लेन-देन रिपोर्ट करने के लिए जरूरी हो सकता है। रिटर्न न भरने से फायदे छूट सकते हैं और पेनाल्टी भी लग सकती है।
4. होम लोन टैक्स बेनिफिट के कारण प्रीपेमेंट है बेकार
कई लोग टैक्स कटौती के लालच में लोन पूरा समय तक चुकाते हैं। लेकिन ब्याज पर दी जाने वाली बड़ी रकम को देखकर कई बार जल्दी लोन चुकाना ज्यादा फायदेमंद होता है। कर्ज खत्म होने से मानसिक शांति मिलती है और EMI से छुटकारा मिलता है।
5. एक ही इनकम का सोर्स काफी है
केवल एक नौकरी या बिजनेस पर निर्भर रहना जोखिम भरा है। आज के दौर में नौकरी छूटना, टेक्नोलॉजी बदलाव या इंडस्ट्री में मंदी आम बात है। साइड इनकम, रेंटल इनकम या निवेश से मिलने वाली आमदनी जैसी एक्स्ट्रा इनकम सुरक्षा देती है।
6. म्यूचुअल फंड पूरी तरह सुरक्षित
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से जोखिम खत्म नहीं होता। इसमें पैसा शेयर, बॉन्ड या मार्केट-लिंक्ड इंस्ट्रूमेंट में लगाया जाता है, जिनमें उतार-चढ़ाव संभव है। यहां तक कि डेट फंड भी मार्केट रिस्क से लिंक होते हैं। इनक इंटरेस्ट भी समय के साथ बदल सकता है।
7. वसीयत सिर्फ बुजुर्गों के लिए
वसीयत उम्र पर नहीं, बल्कि जिम्मेदारी पर निर्भर करती है। अगर आपके पास प्रॉपर्टी, निवेश या डिजिटल एसेट हैं, तो वसीयत बनाना जरूरी है ताकि आपकी संपत्ति आपकी इच्छा के अनुसार बांटी जा सके।
8. बच्चों की शादी के लिए माता-पिता को सेविंग करनी चाहिए
कई माता-पिता अपनी रिटायरमेंट सेविंग को शादी पर खर्च कर देते हैं। लेकिन बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी एजुकेशन में निवेश करना ज्यादा समझदारी है। शादी का खर्च बच्चे खुद संभाल सकते हैं।
9. फाइनेंशियल प्लानर रखने के बाद मॉनिटरिंग की जरूरत नहीं?
सलाहकार मदद कर सकते हैं, लेकिन निवेश की जिम्मेदारी आपकी होती है। समय-समय पर पोर्टफोलियो रिव्यू करना जरूरी है ताकि बदलते हालात के अनुसार निवेश सही दिशा में रहें।
10. जीवनसाथी से फाइनेंशियल जानकारी छुपाना सही है?
अगर जीवनसाथी को अकाउंट, निवेश या पासवर्ड की जानकारी नहीं होगी तो अचानक स्थिति में उन्हें परेशानी हो सकती है। वित्तीय जानकारी शेयर करना परिवार की सुरक्षा के लिए जरूरी है।
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