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क्या बजट में ऐलान के बाद गोल्ड म्यूचुअल फंड के मुकाबले गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद है?

वित्तमंत्री ने 23 जुलाई को पेश बजट में सेक्शन 50एए के तहत 'स्पेशिफायड म्यूचुअल फंड' की नई परिभाषा का ऐलान किया। इससे टैक्स के लिहाज से म्यूचुअल फंड्स की तीन कैटेगरी बन गई है। लिस्टेड सिक्योरिटी और अनलिस्टेड सिक्योरिटी के आधार पर टैक्स के नियम में फर्क किया गया है

MoneyControl Newsअपडेटेड Jul 27, 2024 पर 1:52 PM
क्या बजट में ऐलान के बाद गोल्ड म्यूचुअल फंड के मुकाबले गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद है?
23 जुलाई को पेश बजट में होल्डिंग पीरियड को भी आसान बनाया गया है। लिस्टेड सिक्योरिटीज के लिए इसे एक साल रखा गया है। बाकी सभी एसेट्स के लिए दो साल रखा गया है।

यूनियन बजट में गोल्ड फंड को टैक्स के मामले में डेट म्यूचुअल फंड्स से अलग कर दिया गया है। इससे गोल्ड फंड निवेश के लिए पहले से ज्यादा अट्रैक्टिव हो गया है। साथ ही बजट में कैपिटल गेंस टैक्स के लिहाज से फाइनेंशियल एसेट्स को 12 महीने और 24 महीने के दो पीरियड में बांटा गया है। इससे गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड्स के टैक्स में फर्क हो सकता है। गोल्ड ईटीएफ पैसिव फंड है। यह 99.5 फीसदी प्योरिटी के स्टैंडर्ड गोल्ड बुलियन में अपने फंड का निवेश करता है। दूसरी तरफ गोल्ड म्यूचुअल फंड फंड्स ऑफ फंड्स है, जो गोल्ड ईटीएफ में निवेश करता है।

इस बजट में क्या बदलाव किया गया है?

फाइनेंस एक्ट, 2023 में संशोधन के बाद गोल्ड फंड/ईटीएफ पर सेक्शन 50एए के तहत निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता था। इसमें शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस का नियम खत्म कर दिया गया था। यूनियन बजट 2024 में सेक्शन 50एए के तहत 'स्पेशिफायड म्यूचुअल फंड' की नई परिभाषा तय की गई है। इसमें उन फंडों को शामिल किया गया है, जो अपना 65 फीसदी या इससे ज्यादा पैसा डेट आधारित सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं। इसका मतलब है कि अब गोल्ड फंडों पर लागू होने वाले टैक्स के नियम डेट फंडों जैसे नहीं होंगे।

अब टैक्स के लिहाज से म्यूचुअल फंड की 3 कैटेगरी

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