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Business Idea: मालाबार नीम का पेड़ कर देगा मालामाल, माचिस- पेंसिल बनाने में होता है इस्तेमाल

Business Idea: मालाबार नीम के पौधे 5 साल में ही इमारती लकड़ी देने लगते हैं। इन्हें ज्यादा खाद-पानी की जरूरत नहीं रहती है। इसकी सबसे खास बात ये है कि इसे दूसरी फसलों के साथ भी लगाया जा सकता है। मालाबार नीम की लकड़ी कई काम में आती है। इस लकड़ी का उपयोग पैकिंग करने, माचिस की तीली बनाने, कुर्सी-मेज, सोफा बनाने समेत अन्य कामों में भी किया जाता है

Jitendra Singhअपडेटेड Oct 29, 2023 पर 7:37 AM
Business Idea: मालाबार नीम का पेड़ कर देगा मालामाल, माचिस- पेंसिल बनाने में होता है इस्तेमाल
Business Idea: मालाबार नीम की खेती में लागत कम और कमाई कई गुना हो जाती है।

Business Idea: आज कल के इस अर्थयुग में बहुत से पढ़े लिखे लोग खेती की ओर रूख कर रहे हैं। अगर आप भी बेहद कम समय में करोड़पति बनना चाहते हैं तो आज हम आपको एक ऐसा बिजनेस आइडिया दे रहे हैं, जो सिर्फ 5 साल के भीतर आपको मालामाल कर देगा। आप मालाबार नीम की खेती (Malabar Neem Farming) करके अपनी किस्मत अजमा सकते हैं। इन पेड़ों को फसलों के साथ भी लगा सकते हैं। जिससे आपको अतिरिक्त जमीन की जरूरत नहीं पड़ेगी। मालाबार नीम या मेलिया डबिया इस पेड़ को कई नाम से जाना जाता है। मालाबार नीम के पेड़ की खेती मुनाफे का सौदा है।

जानकारों का मानना है कि मालाबार नीम की लकड़ी कई काम में इस्तेमाल की जाती है। इसकी लकड़ी का उपयोग पैकिंग करने, माचिस की तीली बनाने, कुर्सी-मेज, सोफा बनाने समेत अन्य कामों में भी किया जाता है। किसान इसकी खेती कर लाखों रुपये कमा सकते हैं। इस पेड़ की लकड़ी बाजार में महंगे दामों पर बिकती है।

मालाबार नीम के पेड़ कैसे लगाएं?

मालाबार नीम का पेड़ साधारण नीम से थोड़ा अलग होता है। इसकी खेती सभी तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। इसके लिए ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं पड़ती है। ये कम पानी में ही अच्छे से ग्रो कर सकते हैं। इसका बीज मार्च और अप्रैल महीने के दौरान बोना सबसे अच्छा माना जाता है। यह सभी प्रकार की मिट्टी में लगता है। मालाबार नीम के 4 एकड़ में 5000 पेड़ लगाए जा सकते हैं। जिसमें 2000 पेड़ खेत के बाहर वाली मेड़ पर और 3000 पेड़ खेत के अंदर मेड़ पर लगाए जा सकते हैं। इसके पौधों को लगाते ही 2 साल के भीतर 40 फुट तक ऊंचे हो जाते हैं। कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और केरल के किसान इस पेड़ की खेती बड़े पैमाने पर कर रहे हैं।

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