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EPF और NPS में से रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किसमें निवेश ज्यादा फायदेमंद?

NPS सरकार ने जनवरी 2004 में लॉन्च की थी। यह स्कीम सभी के लिए है। इसका मतलब है कि इसमें निवेश करने के लिए सरकारी नौकरी में होना जरूरी नहीं है। इसीलिए इसे वॉलेंटरी पेंशन स्कीम भी कहा जाता है। इसका मकसद रिटायरमेंट के लिए लोगों को एक अच्छा फंड तैयार करने में मदद करना है, जिससे 60 साल की उम्र के बाद व्यक्ति की आर्थिक जरूरतें पूरी हो जाएं

MoneyControl Newsअपडेटेड Jun 15, 2023 पर 6:04 PM
EPF और NPS में से रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किसमें निवेश ज्यादा फायदेमंद?
एनपीएस में होने वाला निवेश मार्केट से जुड़ा है। इसलिए इसका रिटर्न फिक्स्ड नहीं होता। यह स्कीम के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।

इनफ्लेशन और सोशल सिक्योरिटी के सीमित विकल्प को देखते हुए हर व्यक्ति के लिए रिटायरमेंट से काफी पहले ही उसके बाद के खर्चों के बारे में सोचना शुरू कर देना चाहिए। अभी इनवेस्टमेंट के जितने ऑप्शंस जितने उपलब्ध हैं, उनमें एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड (EPF) सबसे पुराना है। प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों की सैलरी का एक हिस्सा हर महीने ईपीएफ में जमा होता है। एंप्लॉयी अपनी बेसिक सैलरी का 12 फीसदी इसमें कंट्रिब्यूट करता है। इतना ही अमाउंट एंप्लॉयर भी एंप्लॉयी के ईपीएफ अकाउंट में कंट्रिब्यूट करता है।

क्या है ईपीएफ?

EPFO पर ईपीएफ के फंड को मैनेज करने की जिम्मेदारी है। यह सरकार के तहत आने वाला संगठन है। ईपीएफ में जमा पैसा एंप्लॉयी के रिटायरमेंट पर उसे मिल जाता है। नौकरी छोड़ने की स्थिति में भी वह अपना पैसा निकाल सकता है। ईपीएफओ के एंप्लॉयी के अकाउंट के भी दो हिस्से होते हैं। पहला हिस्सा उस फंड का होता है, जो रिटायरमेंट के बाद इंटरेस्ट के साथ एंप्लॉयी को एकमुश्त मिल जाता है। दूसरा हिस्सा पेंशन फंड का होता है, जिससे रिटायरमेंट के बाद एंप्लॉयी को पेंशन मिलती है।

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