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EPFO New Rule: अब खाते में हमेशा रखना होगा 25% बैलेंस, मैच्योरिटी से पहले पूरा पैसा निकालने के लिए करना होगा ज्यादा इंतजार

EPFO New Rule: आंशिक निकासी के लिए अब 3 कैटेगरी बनाई गई हैं- आवश्यक जरूरतें, आवासीय जरूरतें और विशेष परिस्थितियां। सभी तरह की आंशिक निकासी के लिए मिनिमम सर्विस की अवधि को घटाकर 12 महीने कर दिया गया है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Oct 14, 2025 पर 10:00 AM
EPFO New Rule: अब खाते में हमेशा रखना होगा 25% बैलेंस, मैच्योरिटी से पहले पूरा पैसा निकालने के लिए करना होगा ज्यादा इंतजार
EPF से आंशिक निकासी के तहत अब पात्र राशि का 100 प्रतिशत तक निकाला जा सकेगा।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्ट की 13 अक्टूबर को हुई मीटिंग में कई बड़े फैसले लिए गए। कुछ नियमों में छूट दी गई तो कुछ को थोड़ा कड़ा किया गया है। सबसे ज्यादा चर्चा और कंसर्न जिन फैसलों को लेकर है, वे हैं EPF से पूरा पैसा निकालने के​ लिए बढ़ाई गई अवधि और एक निश्चित मिनिमम बैलेंस हर वक्त रखने का नियम। सबसे पहले बात करते हैं उन नियमों की जिनमें ढील दी गई है।

EPFO के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्ट (CBT) ने सदस्यों को आंशिक निकासी यानि कि कुछ हद तक पैसा निकालने के नियमों में बड़ी छूट दी है। पात्र राशि के 100 प्रतिशत तक के विदड्रॉल को मंजूरी दे दी गई है। श्रम मंत्रालय ने बयान में कहा है कि अब EPFO सब्सक्राइबर अपने प्रोविडेंट फंड में एंप्लॉयी और एंप्लॉयर के हिस्से सहित पात्र बैलेंस का 100 प्रतिशत तक आंशिक निकासी के तहत निकाल सकेंगे। इसके अलावा सभी तरह की आंशिक निकासी के लिए मिनिमम सर्विस की अवधि को घटाकर 12 महीने कर दिया गया है।

विशेष परिस्थितियों में विदड्रॉल के लिए अब कारण बताने की जरूरत नहीं

इसके साथ ही आंशिक निकासी के जटिल 13 प्रावधानों को आसान बनाने हुए अब 3 कैटेगरी बनाई गई हैं। ये कैटेगरी हैं- आवश्यक जरूरतें जैसे कि बीमारी, शिक्षा, शादी; आवासीय जरूरतें और विशेष परिस्थितियां। शिक्षा के लिए अब EPFO सब्सक्राइबर 10 बार और शादी के मामले में 5 बार अपना EPF निकाल सकेंगे। अभी तक दोनों ही मामलों में केवल 3 बार ऐसा किया जा सकता था। विशेष परिस्थितियों में पैसे निकालने के लिए अब कारण बताने की भी जरूरत नहीं होगी। पहले कारण स्पष्ट करने होते थे, जैसे प्राकृतिक आपदा, एस्टेबिलिशमेंट या कंपनी का बंद होना, निरंतर बेरोजगारी, महामारी का प्रकोप आदि। इसके कारण अक्सर दावे खारिज हो जाते थे।

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