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Gold Monetisation Scheme: सरकार ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम बंद की, जानिए आपके लिए क्या है इसका मतलब

Gold Monetisation Scheme: गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम यानी GMS की शुरुआत 15 सितंबर, 2015 को हुई थी। इस स्कीम के तहत व्यक्ति घर में बेकार पड़े सोने को डिपॉजिट कर सकता है। दरअसल, सरकार ने गोल्ड के आयात में कमी लाने के मकसद से यह स्कीम लॉन्च की थी। सरकार का मानना था कि लोग घरों में बेकार पड़े सोने को इस स्कीम में डिपॉजिट करेंगे, जिससे सोने का कम आयात करना पड़ेगा

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Mar 26, 2025 पर 10:16 AM
Gold Monetisation Scheme: सरकार ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम बंद की, जानिए आपके लिए क्या है इसका मतलब
इंडिया में सोने की सालाना खपत करीब 800 टन है, जबकि देश में सोने का सालाना उत्पादन सिर्फ एक टन है। इसलिए सरकार को हर साल काफी ज्यादा सोना आयात करना पड़ता है।

सरकार ने गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम (जीएमएस) बंद कर दी है। यह फैसला 26 मार्च यानी आज से लागू हो गया है। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एक बयान जारी कर इस स्कीम के बंद होने की जानकारी दी है। ध्यान में रखने वाली बात है कि यह सरकार की गोल्ड से जुड़ी दूसरी स्कीम है, जिसे बंद करने का फैसला लिया गया है। इससे पहले सरकार सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (स्कीम) पर ताला लगा चुकी है। हालांकि, इस बारे में औपचारिक ऐलान नहीं किया गया। लेकिन, फरवरी 2024 के बाद से सरकार ने एसजीबी की नई किस्त जारी नहीं की है। इससे यह माना गया है कि सरकार इस स्कीम को जारी नहीं रखना चाहती।

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम क्या है?

गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम यानी GMS की शुरुआत 15 सितंबर, 2015 को हुई थी। इस स्कीम के तहत व्यक्ति घर में बेकार पड़े सोने को डिपॉजिट कर सकता है। दरअसल, सरकार गोल्ड के आयात में कमी लाने के मकसद से यह स्कीम लॉन्च की थी। सरकार का मानना था कि लोग घरों में बेकार पड़े सोने को इस स्कीम में डिपॉजिट करेंगे, जिससे सोने का काम आयात करना पड़ेगा। इंडिया में सोने की सालाना खपत करीब 800 टन है, जबकि देश में सोने का सालाना उत्पादन सिर्फ एक टन है। इसलिए सरकार को हर साल काफी ज्यादा सोना आयात करना पड़ता है।

जीएमएस में सोना डिपॉजिट करने का क्या फायदा है?

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