घरेलू बाजारों के साथ-साथ ग्लोबल मार्केट्स में भी शुक्रवार को सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट है। फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में कटौती की धीमी गति और अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड पर टेंशन कम होने के बाद डॉलर में मजबूती से सोने में गिरावट आई है। रॉयटर्स के मुताबिक, ग्लोबल मार्केट्स में सोने का हाजिर भाव 0.3 प्रतिशत गिरकर 4,011.60 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। वहीं दिसंबर में डिलीवरी वाला यूएस गोल्ड फ्यूचर्स 0.1 प्रतिशत बढ़कर 4,021.20 डॉलर प्रति औंस हो गया।
इसी तरह चांदी का हाजिर भाव 0.4 प्रतिशत की बढ़त के साथ 49.1 डॉलर प्रति औंस हो गया। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अपनी प्रमुख ब्याज दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की है। लेकिन फेड चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने संकेत दिया है कि निकट भविष्य में नीतिगत दरों में और ढील की संभावना नहीं है। इसकी वजह है कि अमेरिकी सरकार के मौजूदा शटडाउन के बीच नए आर्थिक आंकड़ों का अभाव है। इससे सोने में एक दिन पहले आई तेजी रुक गई।
जहां तक अमेरिका-चीन के बीच ट्रेड की बात है तो अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर टैरिफ को 10 प्रतिशत घटा दिया है। अब दर 57 प्रतिशत से घटकर 47 प्रतिशत रह गई है। ट्रंप ने कहा है कि दोनों देश ट्रेड और रेयर अर्थ एलिमेंट्स जैसे मसलों पर कई अहम पॉइंट्स पर एक नतीजे पर पहुंच गए हैं। ट्रंप और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच साउथ कोरिया में मीटिंग हुई। ट्रेड पर टेंशन घटने से सोने और चांदी जैसे सेफ एसेट्स में निवेश कम हो गया।
भारत में 31 अक्टूबर को मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर में डिलीवरी वाले गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट्स का वायदा भाव 0.51 प्रतिशत गिरावट के साथ 120880 रुपये प्रति 10 ग्राम के लो तक चला गया। दिसंबर में डिलीवरी वाले सिल्वर कॉन्ट्रैक्ट्स का वायदा भाव 0.60 प्रतिशत की गिरावट के साथ 147942 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया।
निवेशकों की सतर्कता दर्शाता है यह उतार-चढ़ाव
इंडिया बुलियन एंड ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) की वाइस प्रेसिडेंट अक्षा कंबोज का कहना है, 'सोना फिलहाल मामूली करेक्शन के दौर में है, कोई बड़ी गिरावट नहीं है। यह उतार-चढ़ाव निवेशकों की सतर्कता को दर्शाता है क्योंकि वैश्विक बाजार मिले-जुले संकेतों और डॉलर इंडेक्स में उतार-चढ़ाव पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। हाल की अस्थिरता के बाद भारत में खरीदार, कीमतों के प्रति अधिक संवेदनशील हो रहे हैं।" एनालिस्ट्स का कहना है कि डॉलर इंडेक्स 3 महीने के उच्च स्तर के आसपास बना हुआ है। इसके चलते अन्य करेंसीज के होल्डर्स के लिए सोना महंगा हो गया है।' कंबोज ने आगे कहा, "मैन्युफैक्चरर्स और निवेशक सतर्क हैं और कीमतें स्थिर हो रही हैं। स्थिर सप्लाई और धीमी मांग के साथ, शॉर्ट टर्म में कोई बड़ा उछाल नामुमकिन लगता है।"