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इनकम टैक्स अपील पर फैसला आपके पक्ष में तो रिफंड का पैसा आने में अब नहीं होगी देर

टैक्स के विवादित मामलों में फैसला टैक्सपेयर के पक्ष में आने के बावजूद रिफंड मिलने में काफी समय लग जाता है। टैक्सपेयर को आदेश के पालन के लिए फिर से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास अप्लाई करना होता है। चूंकि यह प्रक्रिया ऑफलाइन होती है, जिससे रिफंड मिलने में काफी देर होती है

Abhishek Anejaअपडेटेड Feb 20, 2025 पर 2:54 PM
इनकम टैक्स अपील पर फैसला आपके पक्ष में तो रिफंड का पैसा आने में अब नहीं होगी देर
ई-फाइलिंग पोर्टल पर यह फीचर 'Request for Order Giving Effect' नाम से उपलब्ध है।

इनकम टैक्स के विवादित मामलों में फैसला टैक्सपेयर के पक्ष में आने के बावजूद रिफंड मिलने में काफी समय लग जाता है। यह समस्या खत्म होने जा रही है। दरअसल, टैक्सपेयर को आदेश के पालन के लिए फिर से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास अप्लाई करना होता है। चूंकि यह प्रक्रिया ऑफलाइन होती है, जिससे रिफंड मिलने में काफी देर होती है। इसका मतलब है कि रिफंड का पैसा लंबे समय तक फंसा रहता है। अब यह समस्या खत्म होने जा रही है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने यूनियन बजट 2025 में कहा, "मैंने जुलाई 2024 के अपने भाषण (बजट) में वादा किया था कि सभी प्रोसेसेज अगले दो साल के अंदर डिजिटलाइज और पेपरलेस कर दिए जाएंगे। इसमें अपील से संबंधित ऑर्डर भी शामिल होंगे। मैं यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि अब प्रोसेस को डिजिटलाइज किया जा रहा है।" वित्तमंत्री के इस आदेश के बाद इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने अपने ई-फाइलिंग पोर्टल पर नया फीचर शुरू किया है।

ई-फाइलिंग पोर्टल पर यह फीचर 'Request for Order Giving Effect' नाम से उपलब्ध है। इस फीचर के इस्तेमाल से अब अपील पर आया आदेश जल्द लागू हो जाएगा। अपील के पालन में पहले की तरह ज्यादा समय नहीं लगेगा। इस फीचर के फायदे को समझने के लिए मौजूदा व्यवस्था को समझ लेना जरूरी है।

अगर कोई टैक्सपेयर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आदेश से असंतुष्ट है तो कमिश्नर ऑफ इनकम टैक्स (अपील्स), इनकम टैक्स अपीलीय ट्राइब्यूनल (ITAT), हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में उसके खिलाफ अपील करता है। इसके लिए उसे विवाद से जुड़ा अमाउंट अपील के साथ डिपॉजिट करना पड़ता है। अगर अपील पर सुनवाई के बाद फैसला टैक्सपेयर के पक्ष में आता है तो उसे फैसले के पालन के लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में फिर से अप्लाई करना पड़ता है। इसके बाद ही फैसला लागू होता है और उसकी तरफ से डिपॉजिट किया गया अमाउंट उसे वापस मिलता है। इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लग जाता है।

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