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Income Tax: एफएंडओ ट्रेडिंग में लॉस होने पर क्या अकाउंट का टैक्स ऑडिट कराना होगा?

इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 43(5) में डेरिवेटिव ट्रांजेक्शंस को स्पेकुलेटिव इनकम के दायरे में नहीं रखा गया है। इस वजह से F&O से होने वाले प्रॉफिट या लॉस को नॉन-स्पेकुलेटिव बिजनेस इनकम माना जाता है भले ही इसमें डिलीवरी (शेयरों की) नहीं होती है

MoneyControl Newsअपडेटेड Sep 22, 2025 पर 6:10 PM
Income Tax: एफएंडओ ट्रेडिंग में लॉस होने पर क्या अकाउंट का टैक्स ऑडिट कराना होगा?
अकाउंट का टैक्स ऑडिट कराना होगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि एफएंडओ का टर्नओवर कितना है।

पिछले कुछ सालों में स्टॉक्स के फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस (एफएंडओ) में इनवेस्टर्स की दिलचस्पी बढ़ी है। ऐसे लोगों को एफएंडओ पर टैक्स के नियमों को ठीक तरह से समझना जरूरी है। टैक्स के लिहाज से एफएंडओ ट्रेडिंग से हुए प्रॉफिट या लॉस को बिजनेस या प्रोफेशन से हुआ प्रॉफिट माना जाता है। इनकम टैक्स एक्ट में बिजनेस इनकम को स्पेकुलेटिव या नॉन-स्पेकुलेटिव माना जाता है।

F&O प्रॉफिट पर स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है

Income Tax Act के सेक्शन 43(5) में डेरिवेटिव ट्रांजेक्शंस को स्पेकुलेटिव इनकम के दायरे में नहीं रखा गया है। इस वजह से F&O से होने वाले प्रॉफिट या लॉस को नॉन-स्पेकुलेटिव बिजनेस इनकम माना जाता है भले ही इसमें डिलीवरी (शेयरों की) नहीं होती है। इसका मतलब है कि F&O से हुए लॉस को किसी दूसरे सामान्य बिजनेस इनकम के साथ सेट-ऑफ किया जा सकता है। एफएंडओ इनकम पर टैक्सपेयर्स के स्लैब के हिसाब से टैक्स लगता है।

टर्नओवर लिमिट से ज्यादा होने पर ऑडिट जरूरी 

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