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Income Tax Return: मेरे AIS में NSC का इंटरेस्ट दिख रहा लेकिन बैंक अकाउंट में नहीं आया, क्या इस पर टैक्स चुकाना होगा?

कई बार एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट में ऐसी इनकम दिखती है जो टैक्सपेयर के बैंक अकाउंट में क्रेडिट नहीं हुई होती है। इससे टैक्सपेयर के सामने बड़ी मुश्किल पैदा हो जाती है। अगर वह उस पर टैक्स नहीं चुकाता है तो उसे इनकम टैक्स नोटिस आने का डर रहता है

Edited By: Rakesh Ranjanअपडेटेड Aug 19, 2025 पर 12:53 PM
Income Tax Return: मेरे AIS में NSC का इंटरेस्ट दिख रहा लेकिन बैंक अकाउंट में नहीं आया, क्या इस पर टैक्स चुकाना होगा?
बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थाओं को सेक्शन 285बीए के तहत फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को देना जरूरी है।

कई बार एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (एआईएस) में ऐसी इनकम दिख जाती है, जो आपके बैंक अकाउंट में क्रेडिट नहीं हुई होती है। इससे टैक्सपेयर मुश्किल में फंस जाता है। रवि शर्मा एक पेंशनर हैं। टैक्स रिबेट के लिए उन्होंने नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट्स (एनएससी) में निवेश किया था। पिछले साल तक उन्हें मिले इनकम को एआईएस में दूसरे स्रोत से मिले इनकम के रूप में दिखाया गया था। लेकिन, इस बार सालाना इंटरेस्ट तो एआईएस में दिखाया गया है, लेकिन वह बैंक अकाउंट में क्रेडिट नहीं हुआ है। क्या इस पर टैक्स चुकाना होगा? मनीकंट्रोल ने यह सवाल टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन से पूछा।

जैन ने कहा कि बैंक और दूसरे वित्तीय संस्थाओं को सेक्शन 285बीए के तहत फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन की जानकारी Income Tax Department को देना जरूरी है। उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति शेयर या म्यूचुअल फंड खरीदता या बेचता है, एक लिमिट से ज्यादा क्रेडिट कार्ड बिल का पेमेंट करता है, एक लिमिट से ज्यादा वैल्यू की प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन कराता है, उसे डिविडेंड या इंटरेस्ट से इनकम होता है तो इसकी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेजी जाती है।

उन्होंने कहा कि जहां तक रवि शर्मा का मामला है तो पोस्ट ऑफिस को इनवेस्टर के अकाउंट में क्रेडिट हुए एनएससी के इंटरेस्ट अमाउंट की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास भेजना होता है। लेकिन, सभी पोस्ट ऑफिसेज एक समान रिपोर्टिंग प्रैक्टिसेज का पालन नहीं करते हैं। कुछ मामलों में हर साल मिले इंटरेस्ट की जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को भेजी जाती है, जबकि कुछ मामलों में एनएससी के मैच्योरिटी पर मिले इंटरेस्ट की जानकारी आईटी डिपार्टमेंट को भेजी जाती है। वित्तीय संस्थानों की तरफ से आईटी डिपार्टमेंट को भेजी गई जानकारियों को पैन नंबर के आधार पर फिल्टर किया जाता है। फिर किसी एक टैक्सपेयर से संबंधित सभी जानकारियां उसके AIS में उपलब्ध करा दी जाती है। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास टैक्सपेयर की पूरी इनकम की जानकारी उपलब्ध होती है।

एक्सपर्ट ने कहा कि चूंकि एनएससी पर मिले इंटरेस्ट 'इनकम फ्रम अदर सोर्सेज' हेड के तहत टैक्स लगता है, जिससे टैक्सपेयर या तो एक्रुअल बेसिस पर हर साल इनकम टैक्स रिटर्न में इंटरेस्ट इनकम को दिखा सकता है या वह एनएससी के मैच्योर होने पर पूरा पैसा बैंक अकाउंट में क्रेडिट होने पर उसे रिटर्न में दिखा सकता है। यह ध्यान रखना है कि टैक्सपेयर दोनों में जिस विकल्प का इस्तेमाल करेगा उसका पालन हर साल करना होगा। इसमें बीच में बदलाव नहीं किया जा सकता।

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