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देश में और कम हो जाएंगे सरकारी बैंक! FY27 तक मर्जर के एक और राउंड की तैयारी, इस बार कौन से नाम बन सकते हैं इतिहास

PSB Merger: इससे पहले साल 2017 से 2020 के बीच सरकार ने पब्लिक सेक्टर के 10 बैंकों का 4 बड़े बैंकों में विलय किया था। इसके बाद सरकारी बैंकों की संख्या घटकर 12 हो गई। सरकार पब्लिक सेक्टर में बेहतर बैलेंस शीट वाले बड़े, मजबूत बैंक बनाकर उनके ऑपरेशंस में सुधार करना चाहती है

Edited By: Ritika Singhअपडेटेड Oct 15, 2025 पर 12:39 PM
देश में और कम हो जाएंगे सरकारी बैंक! FY27 तक मर्जर के एक और राउंड की तैयारी, इस बार कौन से नाम बन सकते हैं इतिहास
वित्त वर्ष 2027 में चर्चा जारी रहने की उम्मीद है और रोडमैप को अंतिम रूप दिया जा सकता है।

भारत में पब्लिक सेक्टर के बैंक (PSBs) विलय का एक और राउंड देख सकते हैं। इसके तहत एक बार फिर छोटे बैंकों का बड़े बैंकों में विलय हो सकता है। सरकारी सूत्रों ने मनीकंट्रोल को बताया है कि इसका मकसद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लैंडस्केप को सुव्यवस्थित करना है। ऐसा इसलिए ताकि कम लेकिन मजबूत एंटिटी रहें, जो ऋण विस्तार और फाइनेंशियल सेक्टर के सुधारों के अगले दौर को सपोर्ट कर सकें।

सरकारी सूत्रों का कहना है कि प्लान के तहत इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (CBI), बैंक ऑफ इंडिया (BOI) और बैंक ऑफ महाराष्ट्र (BOM) का पंजाब नेशनल बैंक (PNB), बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) जैसे बड़े बैंकों के साथ विलय किया जा सकता है। सरकार पब्लिक सेक्टर में बेहतर बैलेंस शीट वाले बड़े, मजबूत बैंक बनाकर उनके ऑपरेशंस में सुधार करना चाहती है।

वित्त वर्ष 2027 में फाइनल हो सकता है रोडमैप

प्लान पर चर्चा का रिकॉर्ड पहले कैबिनेट स्तर के वरिष्ठ अधिकारी तैयार करेंगे। उसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय इसकी जांच करेगा। चर्चा का रिकॉर्ड एक इंटर्नल सरकारी डॉक्युमेंट है, जिसमें चर्चा के मेन पॉइंट शामिल होते हैं। यह आगे के फैसले लेने और मंजूरी का आधार बनता है। वित्त वर्ष 2027 में चर्चा जारी रहने की उम्मीद है और रोडमैप को अंतिम रूप दिया जा सकता है। वित्त वर्ष 2027 सलाह-मशविरे के लिए एक सांकेतिक समय-सीमा हो सकती है, यानि कि इन प्रस्तावों पर वित्त वर्ष 2027 में अंतर-मंत्रालयी चर्चा होने की उम्मीद है। इस दौरान संभावित विलय में शामिल बैंकों की राय ली जा सकती है। एक सूत्र के मुताबिक, सरकार कोई भी औपचारिक घोषणा करने से पहले आंतरिक रूप से आम सहमति बनाना चाहती है।

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