प्राइवेट सेक्टर के उन कर्मचारियों के लिए एक अच्छी खबर है, जो नौकरी बदलने या जल्द रिटायर होने की सोच रहे हैं। सरकार ने अब लीव इनकैशमेंट (Leave Encashment) के रूप में दी जाने वाले राशि पर टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 25 लाख कर दी है। अभी तक प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए यह सीमा 3 लाख रुपये थी। हालांकि यह टैक्स-छूट की सीमा तभी लागू होगी, जब कर्मचारी नौकरी छोड़ेगा या रिटायर होगा। ध्यान रखे कि अगर आप नौकरी करने के दौरान छुट्टी के बदले कैश ले रहे हैं, तो इस लीव इनकैशमेंट पर पहले की तरह ही टैक्स लगेगा।
एक से अधिक नौकरी पर भी 25 लाख की सीमा लागू
एक साल के अंदर एक से अधिक नौकरी छोड़ने पर भी अधिकतम 25 लाख रुपये का टैक्स-छूट ही मिलेगा। इसे ऐसे समझते हैं कि मान लीजिए आपने मई में 'क' नाम की कंपनी से इस्तीफा दिया और आपको 23 लाख रुपये लीव इनकैशमेंट के रूप में मिला है। फिर आप 'ख' नाम की दूसरी कंपनी में जाते हैं और वहां से कुछ ही महीने बाद फरवरी में इस्तीफा दे देते हैं। 'ख' कंपनी से आपको 3 लाख रुपये लीव इनकैशमेंट के रूप में मिलते हैं। ऐसे मामले में आपको 25 लाख रुपये पर टैक्स-छूट मिलेगा, जबकि बाकी 1 लाख रुपये पर टैक्स देना होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए लीव इनकैशमेंट पर टैक्स-छूट की सीमा बढ़ाकर 25 लाख रुपये करने का ऐलान किया था। इसी घोषणा के मुताबिक गुरुवार 25 मई को इसका नोटिफिकेशन जारी किया गया। नोटिफिकेशन के मुताबिक यह फैसला 1 अप्रैल से लागू हो गया है।
2002 में तय हुई थी पिछली सीमा
प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों के लिए अभी तक लीव-इनकैशमेंट पर टैक्स छूट की सीमा 3 लाख रुपये थी। यह सीमा साल 2002 में तय की गई थी जब सरकारी कर्मचारियों के अधिकतम बेसिक सैलरी 30,000 रुपये प्रति माह ही हुआ करती थी।